नमस्कार दोस्तों Apple Fruit In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम सेब की खेती कैसे करें, Apple ki kheti, सेब की खेती कैसे होती है, उसकी किस्में, देखभाल और पैदावार की जानकारी बताने वाले है। सेब का फल सबसे पुराना और व्यावसायिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण समशीतोष्ण फल है। आपको बतादे की संतरे, केला और अंगूर के बाद सबसे व्यापक रूप से उत्पादित फलों में चौथा है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा सेब उत्पादक देश माना जाता है। यह दुनिया का बहुत ही पौष्टिक और बहुत लोकप्रिय फल है।
भारत में वह ज्यादातर कश्मीर, उत्तर प्रदेश की पहाड़ियों, हिमाचल प्रदेश में उगाया जाता है। सेब की खेती नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय तक भी फैली हुई है। सेब का सेवन ज्यादातर ताजे फल के रूप में किया जाता है। मगर उसके उत्पादन का एक छोटा हिस्सा जेली, जूस, डिब्बाबंद स्लाइस, कैंडी में संसाधित किया जाता है। वाणिज्यिक सेब की खेती एक बहुत पुराना व्यवसाय है। सेब एक बहुत ही सामान्य फल है और पूरी दुनिया में पाया जाता है।
Apple Fruit & Apple Farming in Hindi
सेब दुनिया भर के सभी हिस्सों में उपलब्ध हैं। सेब के पेड़ों की खेती दुनिया भर में की जाती है और यह मालुस जीनस में सबसे व्यापक रूप से उगाई जाने वाली प्रजाति है। सेब के पेड़ की उत्पत्ति मध्य एशिया में हुई थी। सेब एशिया और यूरोप में हजारों वर्षों से उगाए जाते हैं। सेब कई देशों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण फल और नॉर्स, ग्रीक और यूरोपीय ईसाई सहित कई संस्कृतियों में उसका धार्मिक और पौराणिक महत्व है। आज दुनिया भर में सेब की कई किस्में/किस्में उपलब्ध हैं। उस किस्मों में कई विशेषताएं हैं। उसको खाना पकाने, साइडर उत्पादन या कच्चा खाने के साथ कई उपयोगों में लिया जाता है।

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What is Apple in Hindi?
सेब लाल या हरे रंग का बहुत आकर्षक फल है। वह विटामिन से भरपूर होता है। वैज्ञानिक भाषा में उसको मेलस डोमेस्टिका या Melus domestica कहते हैं। सेब का पेड़ 3 से 7 मीटर ऊंचा होता है। उसकी छाल भूरे रंग की होती है। उसके फूल गुलाबी से सफेद रंग या खून के रंग के दिखाई देते हैं। उसके फल मांसल और गोलाकार होते हैं। कच्ची अवस्था में सेब हरे रंग का और स्वाद में खट्टा होता है। पक जाने पर लाल रंग के बहुत मीठे होते है। सेब के बीज छोटा एव काले रंग का चमकीला होता है।
Health Benefits of Apple Fruit सेब खाने के फायदे एवम उपयोग
- सेब के फल स्वस्थ और सफेद दांतों के लिए बहुत उपयोगी है।
- सेब के प्रयोग से पथरी का इलाज किया जा सकता है।
- व्यक्ति की बढ़ती उम्र की वजह से मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को दूर करता है।
- सेब में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर्स होते हैं जो पाचन क्रिया को सही रखते हैं।
- सेब का सेवन करने से कैंसर का खतरा कम होता है।
- उसके नियमित सेवन से मधुमेह होने का खतरा कम होता है।
- सेब का सेवन करना ह्रदय यानि दिल के लिए अच्छा होता है।
- सेब के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या कम या नहीं होती है।
- वजन को नियंत्रित करने के लिए सेब का नियमित सेवन फायदेमंद है।
- सेब के नियमित उपयोग से शरीर के कई विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
- सेब के गुण आपके बालों को बढ़ने में मदद करते है।
- उसके पोषक तत्वों में से हड्डी और दांत मजबूत बनता है।
- शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा करने में मदद करते हैं।
- खांसी और अस्थमा के पहले चरण के लिए अच्छा घरेलू उपाय है।
- सेब का सेवन कब्ज, दस्त, और पेट दर्द जैसी समस्याओं को नस्ट करता है।
- सुबह के समय में सेब खाना सबसे फायदेमंद होता है।

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सेब के पोषक तत्व
- पानी
- ऊर्जा
- प्रोटीन
- फैट
- कार्बोहाइड्रेट
- फाइबर
- शुगर
- कैल्शियम
- आयरन
- मैग्नीशियम
- फास्फोरस
- पोटैशियम
- सोडियम
- जिंक
- विटामिन सी
- थियामिन
- राइबोफ्लेविन
- विटामिन-बी 6
- फोलेट
- विटामिन-ए
- नियासिन
- विटामिन ई
- विटामिन-के
Apple Fruit Farming सेब की खेती के लिए जलवायु कितने डिग्री chaiye
सेब को 1,500 मीटर से 2700 मीटर की ऊंचाई पर उगा सकते है। समुद्र तल से हिमालय पर्वतमाला में 1,000 से 1,500 घंटे ठंड या ठंडक में होता है। सर्दियों के मौसम में तापमान 70 डिग्री सेल्सियस या उससे कम रहता है। सेब उगाने के मौसम के समय तापमान 21 C से 24 C के नजदीक होना चाहिए। सर्वोत्तम विकास और अच्छे फलने के लिए सेब के पेड़ों को 100 सेमी से 125 सेमी वार्षिक वर्षा की जरुरत होती है।
जो पूरे वर्ष समान रूप से होती है। फलों की परिपक्वता अवधि के निकट बहुत अधिक वर्षा और कोहरे के परिणामस्वरूप फलों की गुणवत्ता खराब होती है। फलों का अनुचित रंग विकास और कवक के धब्बे हो सकते हैं। जहां हवा तेज वेग में होती है वहां सेब की खेती नहीं होती है।

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Soil Requirement For Apple Fruit Farming भूमि और तैयारी
Seb ki kheti के लिए सूखी दोमट मिट्टी का उपयोग सबसे अच्छा माना जाता है। उसकी गहराई 45 सेंटीमीटर होनी जरुरी है। उस गहराई में किसी भी तरह की चट्टान नही होनी चाहिए। क्योकि पेड़ अपनी जड़े जमीन से अच्छे से फैलकर विकसित हो सके। उसके साथ मिट्टी का पीएचमान 5.5 से 6.5 होना चाहिए। सेब की खेती जलभराव वाले स्थानों पर नहीं होती है। यानि खेत में जल निकास की की व्यवस्था होनी चाहिए।
सेब की बागवानी करने के पहले खेत में दो से तीन बार जुताई कर उसके बाद खेत में रोटावेटर चला और मिट्टी भुरभुरी करनी चाहिए। उसके बाद ट्रैक्टर से पाटा लगाकर समतल कर लेना है। पौधरोपण के लिए 10 से 15 फीट की दूर पर गड्ढे बनाएं। और एक गड्ढा 2 फीट गहरा होना जरुरी है। उसके बाद गड्ढे में गोबर खाद और रासायनिक खाद मिलाएं। और वह खेत की सिंचाई कर पौधा रोपण के लिए तैयार करले।
Apple Fruit Advanced varieties उन्नत किस्में
Clonal rootstocks
- M7
- M 9
- M 26
- MM 11
- MM 106
Scab-resistant
- Florina,
- Macfree
- Nova Easy Grow
- Prima
- Priscilla
- Sir Prize
- Jonafree
- Coop 12
- Coop 13
- Firdous
- Nova Mac
- Liberty
- Freedom
- Shireen
Hybrids
- Lal Ambri
- Ambred
- Sunehari
- Chaubattia Princess
- Chaubattia Anupam
- Ambrich
- Ambroyal
Low Chilling
- Anna
- Tropical Beauty
- Michal
- Tamma
- Vered
- Neomi
- Schlomit
- Parlin’s Beauty
Pollinizing
- Winter Banana
- Granny Smith
- Tydeman’s Early
- Red Gold
- Golden Delicious
- Mc Intosh
- Starkspur Golden
- Lord Lambourne
- Golden Spur
पौधों को तैयार करने का तरीका
सेब के पौधों को खेत में लगाने से पहले पौधों को बीज और कलम के जरिये तैयार किया जाता है। कलम से पौधों को तैयार करने के लिए पुराने पेड़ो की शाखाओ को ग्राफ्टिंग और गूटी विधि से नए पौधे तैयार किया जाता है। उसके अतिरिक्त अगर आप चाहे तो किसी भी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से पौधे खरीद भी सकते है। कलम से पौधों को तैयार करने पेड़ो की शाखाओ का उपयोग होता है।

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Apple Fruit Farming में रोपण
तैयार किए खेत में पौधों की रोपाई खेत के गड्डो में होती है। उस सभी गड्डे को उचित दूरी पर तैयार कर गड्डो गोमूत्र से उपचारित करते है। उसके बाद पौधों को गड्डो में लगा देते है। पौधों की जड़ो में ज्यादा समय तक नमी बनाये रखने के लिए मिट्टी के साथ नारियल के छिलके डाल सकते है। नर्सरी से लाए पौधे एक साल पुराने और बिल्कुल स्वस्थ होने जरुरी है। पौधों की रोपाई जनवरी और फ़रवरी के माह में होती है। उचित वातावरण मिलने पर पौधे अच्छे से विकास करते है।
Apple Fruit Farming में सिंचाई
किसानो सेब की खेती ठंडी के मौसम में करते है। उस के कारन खेत की अधिक सिंचाई करने की जरूरत नहीं होती है। सर्दी के मौसम में किसान 2 से 3 बार सिंचाई कर सकते है।मगर पौधा रोपण करने के बाद पहली सिंचाई जरुरी है। गर्मी के मौसम में हर हफ्ते सिंचाई करनी की जरूर है। बारिश के मौसम में जरूरत होने पर ही सिंचाई करें।
Apple Fruit Farming Manures and Fertilizers
सेब के पौधों को उवर्रक की सही मात्रा की जरुरत होती है। उसके लिए गड्डो को तैयार कर उस समय हर गड्डे में 10 से 12 किलो सड़े गोबर की खाद के साथ N.P.K की आधा किलो की मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलाना है। हमने बताई उवर्रक सही मात्रा को पौधों को हर साल देना जरुरी है। पौधों के विकास के साथ उवर्रक की मात्रा भी बढ़ा देना है।

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Apple Fruit Farming Weed control
किसानो को सेब के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करना ज्यादा जरूरी है। उसके लिए खेत की निराई-गुड़ाई करना जरुरी है। किसान खरपतवार को रोकने के लिए रासायनिक तकनीक भी इस्तेमाल कर सकते है। मगर कई समय वह पौधों को हानि भी पंहुचा सकते है। खरपतवार पर पूरी तरह से रोकथाम के लिए किसानो को खेत की समय पर खरपतवार और निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए।
सेब की कटाई और उपज Harvesting And Processing
सेब की फसल फूल आने के बाद 130 से 140 दिनों में पककर तुड़ाई के लिए तैयार होती है। जिस समय फल पूरी तरह से अपने आकार में दिखाई देने लगे और उसका रंग आकर्षक होने लगे तब वह फल तुड़ाई के लिए तैयार होते है। तोड़ने के समाय किसानो को फलो को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना चाहिए। क्योकि उस से फल कुछ दिनों के समय तक ताजे बने रहते है। जिस समय सभी फलो को तोड़ ले उसके बाद फल के आकार और चमक के आधार पर विभाजित कर लेना चाहिए। उसको अलग अलग करने के बाद उसको मार्केट में बेचने के लिए भेज सकते है।
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Apple Farming in India in Hindi Video
Interesting Fact
- भारत विश्व में सेब के उत्पादन में 9वें स्थान पर है।
- सेब का वाणिज्यिक प्रसार नवोदित और जीभ ग्राफ्टिंग विधियों से किया जाता है।
- सेब की खेती में रोपण सामग्री पंजीकृत नर्सरी से ही खरीदी जानी चाहिए।
- उसका वानस्पतिक नाम मेलस डोमेस्टिका है।
- सेब का पेड़ आम तौर पर 6 से 15 फीट लंबा और जंगली में 30 फीट तक खड़ा होता है।
- वाणिज्यिक सेब उत्पादक रूटस्टॉक्स पर ग्राफ्टिंग करके सेब की किस्मों का प्रचार करते है।
- भारत में कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में सेब की खेती होती है।
- सेब लाल या हरे रंग का विटामिन से भरपूर होता है।
- सेब का इस्तेमाल औषधि के रूप में भी कर सकते हैं।
- सभी फलो में सेब निरोग फल के रूप में जाना जाता है।
FAQ
Q .सेब के बागान के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
सेब की बुवाई ज्यादातर जनवरी और फरवरी माह में की जाती है।
Q .सेब का पेड़ कितने दिन में फल देता है?
पूर्ण पुष्प पुंज अवस्था के बाद 130-135 दिनों के भीतर फल परिपक्व होते हैं।
Q .सेब की खेती कैसे की जाए?
खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। खेती में जलवायु का ध्यान रखा जाता है। पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए अधिक ठंड की आवश्यकता होती है। सर्दियों के मौसम में फलों के अच्छे विकास के लिए 200 घंटे सूर्य की धूप की आवश्यकता होती है।
Q .सेब का पेड़ कौन सा होता है?
सेब का पेड़ आम तौर पर 6 से 15 फीट लंबा और जंगली में 30 फीट तक खड़ा होता है।
Q .सेब का पेड़ कैसे लगाते हैं?
सेब का पेड़ नर्सरी या गार्डनिंग स्टोर और सेब का बीज निकालकर पेड़ उगा सकते हैं।
Q .सबसे ज्यादा सेब की खेती कहां होती है?
सेब की खेती अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब और सिक्किम में भी की जाती है।
Conclusion
आपको मेरा Apple Fruit In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने Apple benefits, Apple fruit shape और सेब का पेड़ कितने दिन में फल देता है से सम्बंधित जानकारी दी है।
अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।
Note
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