\

Black Pepper Farming | काली मिर्च की खेती कैसे करे | Black Pepper Cultivation

नमस्कार दोस्तों Black Pepper Farming Information Guide में आपका स्वागत है। आज हम काली मिर्च की खेती कैसे करे | Black Pepper Cultivation | काली मिर्च की जैविक खेती | काली मिर्च की खेती करने का तरीका | काली मिर्च की खेती कहाँ होती है की संपूर्ण जानकारी बताने वाले है। काली मिर्च (Piper nigrum) पिपेरेसी परिवार की बारहमासी चढ़ाई वाली बेल और इसके फलों से बना तीखा तीखा मसाला बहुत  उपयोगी है। काली मिर्च भारत के मालाबार तट की मूल निवासी है।

ज्ञात सबसे पुराने मसालों में से एक है। व्यापक रूप से दुनिया भर में मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। काली मिर्च का दवा में एक कार्मिनेटिव (पेट फूलना दूर करने के लिए) और गैस्ट्रिक स्राव के उत्तेजक के रूप में उपयोग होता है। शुरुआती में काली मिर्च की खेती पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती थी। वह मसाला के रूप में अत्यधिक माना जाता था। काली मिर्च भारत और यूरोप के बीच भूमि व्यापार का एक महत्वपूर्ण लेख बन गया था।

Black Pepper Farming In Hindi

काली मिर्च लोकप्रिय मसालों में से एक है। और उसको मसालों का राजा कहा जाता है। इस मसाले की उत्पत्ति भारत के पश्चिमी घाट से हुई थी। भारत में काली मिर्च मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, कोंकण, पांडिचेरी और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उगाई जाती है। भारत दुनिया में काली मिर्च का No1 उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है।

केरल ही काली मिर्च के कुल उत्पादन का 90% उत्पादन करता है। विदेशी मुद्रा से निर्यात की अपनी कमाई के कारण मसाले का अच्छा आर्थिक महत्व है। इस मसाले को इसके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कारक के कारण काला सोना भी कहा जाता है। इस मसाले का वानस्पतिक नाम “पाइपर नाइग्रम” है और यह “पाइपरसी” के परिवार से संबंधित है।

Black Pepper Cultivation

इसके बारे में भी पढ़ें – सेब की खेती कैसे करें उसकी किस्में, देखभाल और पैदावार की जानकारी

काली मिर्च के फायदे एवम उपयोग

  • काली मिर्च अनेकों औषधीय गुण से भरपूर होती है।
  • ठंड के दिनों में सभी पकवानों में काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। 
  • काली मिर्च नपुंसकता, मासिक धर्म, चर्म रोग, बुखार और कुष्ठ रोग में लाभकारी है।
  • जोड़ों का दर्द, गठिया, लकवा एवं खुजली में काली मिर्च में पकाए तेल की मालिश से लाभ होता है।
  • सिर दर्द में काली मिर्च के फायदे बहुत लाभकारी साबित होते हैं।
  • शहद तथा नींबू के रस को मिला कर तालू पर लेप करने से मुँह के छाले कम होता है।
  • काली मिर्च को पानी में पीसकर फोड़े-फुंसियों व सूजन पर लेप करने से घाव सुख जाता है।
  • खट्टी दही के साथ सुबह खाली पेट सेवन करने से हिस्टीरिया में लाभ होता है।
  • कालीमिर्च का सेवन कैंसर को फैलने से रोकने में आपकी मदद कर सकता है। 
  • विटिलिगो की समस्या में कालीमिर्च का उपयोग फ़ायदेमंद हो सकता है। 
  • काली मिर्च के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है। 
  • सर्दी-जुकाम से आराम पाने के लिए काली मिर्च का उपयोग कर सकते है। 
  • आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सुबह के समय काली मिर्च का सेवन करना फायदेमंद है।

काली मिर्च के पोषक तत्व

  • पानी 
  • ऊर्जा 
  • प्रोटीन 
  • कार्बोहाइड्रेट 
  • फाइबर 
  • शुगर 
  • कैल्शियम 
  • आयरन 
  • मैग्नीशियम 
  • फास्फोरस 
  • पोटैशियम
  • सोडियम 
  • जिंक
  • कॉपर
  • मैंगनीज 
  • सेलेनियम 
  • थायमिन 
  • राइबोफ्लेविन 
  • नियासिन 
  • विटामिन-बी
  • विटामिन-ए 
  • फोलेट 
  • विटामिन-ई 
  • विटामिन-के

Black Pepper Farming जलवायु

काली मिर्च की फसल उष्णकटिबंधीय गर्म और आर्द्र जलवायु परिस्थितियों में सबसे अच्छी तरह से पनपती है। इसके लिए लगभग 200 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। उसकी सफल वृद्धि के लिए आदर्श तापमान 10°C और 40°C के बीच होता है। यह मसाले की खेती समुद्र तल से 1400 मीटर पर सफलतापूर्वक की जा सकती है। फलों के सेट के लिए फूल आने से कम से कम एक महीने पहले सूखे की जरुरत होती है।

काली मिर्च की जैविक खेती

इसके बारे में भी पढ़ें – इलायची की खेती कैसे करें

Soil Requirement For Black Pepper Farming भूमि और तैयारी

काली मिर्च की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी जैसे लाल दोमट, चिकनी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी में की जा सकती है। मगर काली मिर्च की खेती के लिए ह्यूमस (जैविक पदार्थ) की मात्रा और अच्छी जल निकासी वाली अच्छी मिट्टी आदर्श होती है। उस फसल की बेहतर उपज पर वृद्धि के लिए मिट्टी का pH मान 5.0 से 6.5 होना बहुत अच्छा माना जाता है।

Black Pepper Advanced varieties उन्नत किस्में

  • Monoecious
  • Karimunda
  • Kottanadan
  • Narayakodi
  • Aimpiriyan
  • Neelamundi
  • Kuthiravally
  • Balancotta
  • Kalluvally
  • Malligesara and Uddagare
  • Kuthiravally
  • Panniyur-8
  • Balancotta
  • Panniyur-1
  • Panniyur-3 
  • IISR Girimunda 
  • IISR Malabar

पौधों का प्रचार

काली मिर्च को मुख्य रूप से रनर शूट से उठाए गए कटिंग से प्रचारित किया जाता है। पार्श्व शाखाओं से कटिंग का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है। क्योंकि फलने वाले अंकुरों की संख्या में कमी के अलावा उनसे उठाई गई लताएं आमतौर पर अल्पकालिक और आदत में झाड़ीदार होती हैं। मगर जड़ वाली पार्श्व शाखाएं काली मिर्च को गमलों में उगाने में उपयोगी होती हैं। अधिक उपज देने वाली और स्वस्थ लताओं से रनर शूट को बेल के आधार पर लगे लकड़ी के खूंटे पर कुंडलित करके रखा जाता है। 

क्योकि प्ररोहों को मिट्टी और हड़ताली जड़ों के संपर्क में आने से रोक सके। फरवरी-मार्च में रनर शूट को बेल से अलग कर करते है। और पत्तियों को ट्रिम करने के बाद 2 से 3 नोड्स की कटिंग या तो नर्सरी बेड या उपजाऊ मिट्टी से भरे पॉलीथिन बैग में लगाते हैं। प्ररोहों के मध्य 1/3 भाग से कटाई वांछनीय है क्योंकि वे अधिक उपज देने वाले होते हैं। पर्याप्त छाया प्रदान करते है। और बार-बार सिंचित करते है। कटिंग जड़ों से टकराएगी और मई-जून में रोपण के लिए तैयार हो जाती है।

Black Pepper Farming Information Guide

इसके बारे में भी पढ़ें – मशरूम की खेती कैसे करें की जानकारी

Cropping method

काली मिर्च को फसल के साथ मिश्रित फसल के रूप में उगा सकते है। काली मिर्च की मोनोक्रॉप के रूप में बड़े पैमाने पर खेती पहाड़ी ढलानों पर होती है। जिसमें जंगल की भूमि को साफ किया जाता है। और बेलों पर चढ़ने के लिए रोपण करते है। मिश्रित फसल के रूप में सुपारी, नारियल, आम, जैक आदि के साथ उगा सकते है। जहां ये पेड़ काली मिर्च की लताओं के लिए मानक के रूप में काम करते हैं। काली मिर्च कॉफी बागानों में एक उपयुक्त अंतरफसल है जहां छायादार पेड़ अच्छा विकल्प हैं।

Black Pepper Farming में रोपण

काली मिर्च का रोपण उत्तर पूर्व मानसून के दौरान भी किया जा सकता है जहां यह नियमित और अच्छी तरह से वितरित होता है। जब काली मिर्च को शुद्ध फसल के रूप में उगाया जाता है। उसके लिए 0.5 मीटर क्यूब के गड्ढे 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर खोदे जाते हैं और 2 मीटर लंबाई के एरिथ्रिना स्टेम कटिंग या इसके दो साल पुराने पौधे मानसून की शुरुआत में लगाए जाते हैं। नियमित बारिश की शुरुआत के साथ 30 सेमी दूर मानक के आधार के आसपास 2 या 3 जड़ वाले कटिंग लगाए जाते हैं। 

काली मिर्च की कटिंग को पेड़ के तने से 100 से 120 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाते है। प्रारंभ में बेलों को 2 मीटर ऊँचे एक डंडे या डंडे पर चढ़ते है। एक साल के बाद बेल पर्याप्त लंबाई प्राप्त कर लेती है। तो डंडे से अलग किया जा सकता है। और निचली पत्तियों को काट सकते है। बेल के आधार से पेड़ के तने के आधार तक 15 सेमी गहरी और चौड़ी एक संकरी खाई तैयार करते है। बेल को खाई में रख सकते है। खाई के ऊपर एक छोटी सी रिज बनती है। 

Black Pepper Farming में सिंचाई

किसान नवंबर-दिसंबर महीनों से मार्च के अंत तक लगातार सिंचाई कर सकते है। और उसके बाद मानसून के ब्रेक तक सिंचाई रोक दी जाती है। काली मिर्च की खेती में अच्छी उपज प्राप्त करने अच्छे से सिचाई करना जरुरी है। 1 सप्ताह के अन्तराल पर तथा ग्रीष्म ऋतु में प्रत्येक 2 दिन में सिंचाई करनी जरुरी है। उसके अलावा किसान अपने खेत और उसकी जरुरत के मुताबिक सिचाई कर सकते है। सिर्फ उतना ही करना है। की आपको खेत में मौसम के मुताबिक नमी बनाए रखनी है।

काली मिर्च की खेती

इसके बारे में भी पढ़ें – Swami Vivekananda Scholarship 2022

Black Pepper Farming Manures and Fertilizers

काली मिर्च के पौधे को विकसित करने के दो तरीके हैं। सबसे पहले घुलनशील या तरल उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं। दो सप्ताह में पानी पिलाते समय लगाते है। या दानेदार जैविक उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं। और महीने में एक बार पौधे को शीर्ष ड्रेसिंग कर सकते हैं। खेत में पानी देने से पहले उर्वरक छिड़कना चाहिए। आपको को थोड़ा थोड़ा सा उर्वरक डालना चाहिए। क्योकि काली मिर्च के पौधे ज्यादा खाद देने से पौधे को नुकसान हो सकता है। अगर काली मिर्च का पौधा कम रोशनी और तापमान में उगाते है, तो उर्वरक कम रखे। 

Black Pepper Farming Weed control

मिर्च की खेती में खरपतवार नियंत्रण – मई से जून के महीने में एक बार और फिर अक्टूबर-नवंबर महीने में 2 बार खुदाई करनी चाहिए। काली मिर्च की खेती में बेहतर वृद्धि और उपज के लिए निराई-गुड़ाई बहुत जरुरी है। खेत में खरपतवार नियंत्रण से मिट्टी के वातन में सुधार होता है। उसके कारन आपकी काली मिर्च की फसल बहुत अच्छे से विकसित हो सकती है।

Black Pepper

काली मिर्च की कटाई और उपज Harvesting And Processing

यह मिर्च की बेलें आमतौर पर तीन से चार साल के समय के बाद उपज देने लगती हैं। बेलों में मई-जून में फूल आते हैं। फूल आने से लेकर पकने की अवस्था में 6 से 8 महीने लगते हैं। मैदानी विस्तारो में नवंबर से फरवरी तक और पहाड़ियों में मार्च करने के लिए जनवरी से कटाई की जाती है। जब स्पाइक पर एक या दो जामुन चमकीले या लाल होते हैं, तो पूरे स्पाइक को तोड़ दिया जाता है। जामुन को हाथों के बीच रगड़कर या पैरों के नीचे रौंदकर स्पाइक्स से अलग करते है। 

अलग होने के बाद जामुन को 7 से 10 दिनों तक धूप में सुखाते है। जब तक कि बाहरी त्वचा काली और सिकुड़ी हुई न हो जाए। एक समान रंग की अच्छी गुणवत्ता वाली काली मिर्च बनाने के लिए जामुनों को एक छिद्रित बांस की टोकरी या बर्तन में एकत्र करते है। और जामुन के साथ टोकरी को एक मिनट के लिए उबलते पानी में डुबोया जाता है। और टोकरी को बाहर निकाला जाता है और सूखा दिया जाता है। पूरी तरह से पके जामुन के स्पाइक्स को बोरियों में भर दिया जाता है।

इसके बारे में भी पढ़ें – ग्राम सभा और उसके काम की जानकारी  

Black Pepper Farming Information Guide Video

Interesting Fact

  • विश्व बाजार में बढ़ती मांग के कारण काली मिर्च की खेती मुनाफे का सौदा है।
  • आयुर्वेद के अनुसार काली मिर्च की तासीर गर्म होती है। 
  • काली मिर्च के पौधे के विस्तार करने के लिए कलमों का उपयोग किया जाता है।
  • औषधयी गुणों के लिए प्रसिद्ध काली मिर्च का मसाला डेली इस्तेमाल होता हैं। 
  • भारत, इंडोनेशिया, बोर्नियो, चीन, मलय, लंका और स्याम में उसकी खेती की जाती है।
  • काली मिर्च की खेती में खाद की भी जरूरत नहीं पड़ती है। 
  • काली मिर्च की खेती सबसे ज्यादा दक्षिण भारत में होती है। 
  • किसान काली मिर्च किसी भी तरह की मिट्टी में उगा सकते है। 
  • काली मिर्च की खेती करने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं है। 

FAQ

Q .काली मिर्च का भाव क्या है?

भारतीय बाजारों मे काली मिर्च का थोक भाव 28,000 से 35,000 रुपये प्रति क्विंटल है। 

Q .देश मे काली मिर्च कहाँ से आती है?

भारत देश मे मुख्य रूप से वियतनाम, ब्राजील, इंडोनेशिया, श्रीलंका, चीन, बोर्निया से आयात किया जाता है।

Q .काली मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

काली मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य केरल है। 

Q .काली मिर्च का पौधा कहां मिलेगा?

किसान बागवानी क्षेत्र मे कार्यरत पौधशाला से काली मिर्च के पौधे खरीद सकता है। 

Q .काली मिर्च कौन से राज्य में होती है?

भारत में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट, छतीसगढ़ ,असम, मैसूर और कोचीन राज्यों मे होती है। 

Q .काली मिर्च की खेती कब की जाती है?

काली मिर्च की पौध की रोपाई मई से जून के महीने में की जाती है। 

Conclusion

आपको मेरा Black Pepper Farming | Black Pepper Cultivation बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Black pepper farming in india, Black pepper production in india और Black pepper cultivation profit से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

Note

आपके पास Black pepper yield per acre in india की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।

Kali mirch ki kheti, Black pepper farming in kerala, method black pepper farming, Black pepper pepper farming, black paper, peppercorn, Black pepper price, Black pepper cultivation in uttar pradesh, area, production and productivity of black pepper in india, Black pepper yield per acre in vietnam, Black pepper Agriculture

इसके बारे में भी पढ़ें – खेती के लिए लोन कैसे लें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *