नमस्कार दोस्तों Cardamom Farming in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम इलायची की खेती की सम्पूर्ण जानकारी में Cardamom Cultivation Guide | इलायची की खेती कैसे करें | इलायची की खेती कैसे होती है और Elaichi Farming की जानकारी बताने वाले है। आज हम इलायची उगाने के विषय जानकारी में इलायची की खेती के तरीकों और इलायची का रोपण, इलायची के पौधे की देखभाल, कटाई की प्रक्रिया शामिल है। आपको बतादे की इलायची उत्पादक देशों में भारत का नाम पहले नंबर पर आता है।
Cardamom Farming in Hindi
इलायची को भारत में मसालों की रानी कहा जाता है। यह एक लंबे बारहमासी पौधे का सूखा फल और जिंगिबेरासी परिवार का हिस्सा है। भारत में इलायची की खेती कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्य में होती है। इलायची अपनी सुगंध और स्वाद के कारण दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। भारत दुनिया में इलायची के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक कहा जाता है। इलायची का उपयोगी भाग सूखे मेवे हैं। इलायची का उपयोग केक, करी और ब्रेड के स्वाद और पाक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। उसका उपयोग मैस्टिक के रूप में और कॉफी और कन्फेक्शनरी के स्वाद के लिए भी होता है।

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इलायची खाने के फायदे एवम उपयोग
- सर्दी की वजह से गले की खराश को इलायची दूर करती है।
- इलायची खाने से गैस, एसिडिटी, ख़राब पेट की शिकायत दूर होती है।
- इलायची में ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने की क्षमता होती है।
- दिमाग मजबूत करने, आँखों की रोशनी बढ़ाने और याददाश बढ़ने में इलायची मददगार है।
- जी मचलाना, उल्टी जैसा लगना, मुंह का स्वाद ख़राब होने पर इलायची चबा सकते है।
- इलायची में मौजूद खनिज तत्व दिल की रक्षा करने में सहायक है।
- तनाव मुक्त रहने के लिए इलायची बहुत मदद करती है।
- भोजन में स्वाद के साथ साथ सुगंध देता है।
- दिल की धड़कन को सही रखने में इलायची कारगर साबित होता है।
- इलायची का सेवन यौन रोग या गुप्त रोग से मुक्ति दिलाती है।
- सांस की बीमारी में इलायची का सेवन अमृत है।
- इलायची स्वाद बढ़ाने के साथ ही माउथ फ्रेशनर का भी काम करती है।
- इलायची के सेवन से आपकी सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है।
- अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी से राहत मिलती है।
इलायची के पोषक तत्व
आयरन
विटामिन C
नियासिन
रिबोफ्लेविन
पोटेशियम
मैग्नीशियम
कैल्शियम

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Cardamom Farming जलवायु
उष्णकटिबंधीय जलवायु को इलायची की खेती के लिए उपयुक्त और अच्छा माना जाता है। मगर भारत के कई विस्तारो में उसे उगाया जाता है। समुद्र तल से 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर इलायची की खेती हो सकती है। उसकी खेती में 1500 मिलीमीटर की बारिश का होना जरुरी है। उसके साथ हवा में नमी और छायादार जगह का होना आवश्यक है। इलायची की खेती में तापमान सामान्य रहना चाहिए। उसके पौधे सर्दियों में न्यूनतम 10 डिग्री और गर्मियों के मौसम में 35 डिग्री के तापमान पर अच्छा विकासीत होता है।
Soil Requirement For Cardamom Farming भूमि और तैयारी
इलायची की खेती करने के लिए खेत की अच्छी तरह से पलाऊ गहरी जुताई करनी जरुरी है। पिछली फसल के अवशेषो को हटा देना जरुरी है। उसके बाद खेत में मेड बना कर अच्छे से खेत में पानी भर देना है। ढाल वाली भूमि और कम बारिश वाले विस्तारो में पानी संरक्षण की जरुरत होती है। उसके पश्चात खेत में रोटावेटर चला कर गहरी जुताई करनी है। उससे मिट्टी समतल हो जाती है।
किसानो को खेत की मिट्टी के समतल हो जाने के बाद पौधों को मेड पर लगाना चाहते है। तो दो पौधों के बीच में डेढ़ से दो फीट की दूरी होनी जरुरी है। अगर समतल जमीन पर पौधे लगाना है, तो दो से ढाई फीट की दूरी पर गड्ढे करने होते है। उसके बाद उस गड्ढो और मेड पर गोबर की खाद और रासायनिक खाद डालकर मिट्टी में मिला देंना है। इलायची के पौधे लगाने से 15 दिन पहले खेत को तैयार करना चाहिए।

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Cardamom Farming Advanced varieties उन्नत किस्में
इलायची की किस्में को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है। उसमे हरा और काला। सच्ची या छोटी इलायची हरी इलायची की श्रेणी में और हरी इलायची का वैज्ञानिक नाम एलेटारिया इलायची है। काली या भूरी या बड़ी इलायची काली इलायची समूह के अंतर्गत और वैज्ञानिक नाम एमोमम कोस्टाटम और अमोमम सबुलटम है। दो श्रेणियों के अंतर्गत विश्व में इलायची की कई उन्नत किस्में हैं।
मुदिगारे 1 | PV1 |
CCS1 | SKP14 |
ICAR 1 | ICAR 2 |
SKP-14 | थिरुमाली |
बेबो | भरलंगे |
गोल्सी | रैमसे |
सॉनी | रामला |
पौधों को तैयार करने का तरीका
इलायची की खेती के लिए पौधे नर्सरी में तैयार करते हैं। इलायची पौधों को तैयार करने नर्सरी में 10 सें.मी की दूरी पर बीजों को लगाते है। बीजों को खेत में लगाने से पहले ट्राइकोडर्मा या गोमूत्र से उपचारित करके लगाने चाहिए। एक हेक्टेयर में सवा किलो बीज जरुरी है। बीज लगाने क्यारि तैयार कर क्यारियों में 20 से 25 किलो खाद डाल अच्छे से मिट्टी में मिला कर के क्यारियों में बीज लगा कर सिंचाई कर दे। सिंचाई कर क्यारियों को बीज अंकुरित होने के समय तक सुखी घास या पुलाव से ढक देंना है। पौधा तैयार होने के पश्यात खेत में लगाते है। इलायची का पौधा एक फिट की लम्बा बनकर हो जाए तब खेत में लगा देना है।

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Cardamom Farming में रोपण
इलायची की खेती में पौध रोपण एक से दो महीने पहले किया जाता है। उसके बाद पौधों को बारिश में जुलाई माह के समय खेतों में उगाना है। उससे पौधों को सिंचाई की जरूरत नही होती है। उससे पौधा अच्छे से विकास करते है। इलायची के पौधे को छायादार स्थल की अधिक जरुरत होती है। उसके कारन पौधे को छायादार स्थल पर लगाना चाहिए। इलायची के पौधे को खेत में लगाते समय तैयार गड्डों या मेड पर 60 सें.मी की दूरी पर लगाते है। मेड पर जिगजैग तरीके से पौधे की रोपाई करते है।
Cardamom Farming में सिंचाई
किसानो को इलायची के पौधों को खेत में लगाने के बाद उसकी सिंचाई करनी पड़ती है। अगर मौसम बारिश का है तो उसमें पानी देने की जरुरत नहीं होती है। मगर गर्मियों के मौसम में पौधों को अधिक पानी की जरुरत रहती है। उस मौसम में नमी बनाये रखने के लिए इलायची के पौधों को समय पर सिचाई करना जरुरी है। सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिन के समय के अंतराल पर पानी देना चाहिए।
Cardamom Farming Manures and Fertilizers
जैविक पदार्थ जैसे खाद या पशु खाद, गाय का गोबर 5 किलो प्रति गांठ की दर से दिया जा सकता है। नीम के तेल की खली को 1 किलो प्रति गांठ की दर से पूरक किया जा सकता है। उर्वरक एनपीके की खुराक 75:75:150 किग्रा / हेक्टेयर है। चूने का प्रयोग नाइट्रिफिकेशन को बढ़ाता है और मिट्टी की अम्लता को ठीक करता है। उससे पौधों की वृद्धि अच्छी होती है। इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले गड्डों में या मेड पर 10 किलो के हिसाब से सडी गोबर की खाद और एक किली वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए।

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