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Guava Farming In Hindi | अमरूद की खेती | अमरूद की बागवानी की पूरी जानकारी

नमस्कार दोस्तों Guava In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम Guava Farming In Hindi | अमरूद की खेती | अमरूद की बागवानी की पूरी जानकारी बताने वाले है। अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। अमरूद का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं। अमरूद दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का मूल निवासी छोटा पेड़ है। माना जाता है कि वे मेक्सिको या मध्य अमेरिकी क्षेत्र से उत्पन्न हुए थे और फिर दुनिया के सभी हिस्सों में वितरित किए गए थे।

क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से भारत देश में उगाये जाने वाले फलों में अमरूद का चैथा स्थान है। अमरूद की लोकप्रिया, बहुउपयोगिता एवं पौष्टिकता को ध्यान मे रखते उसे गरीबों का सेब कहते हैं। क्योकि वह विटामिन सी से भरपूर होता है। यह फसल की खेती शुरू में निर्वाह प्रकार की खेती के लिए की जाती थी। मगर अब यह वाणिज्यिक खेती प्रणाली में विकसित हो गई है। अमरूद फल के अधिक उत्पादकता और गुणवत्ता के लिए उच्च घनत्व वाली कृषि तकनीक के रूप में अपनाया जाता है।

Guava Farming Information in Hindi

भारत में अमरुद एक बहुत ही सामान्य फल है जो पूरे वर्ष बाजार में मध्यम कीमतों पर उपलब्ध है। क्योकि अमरूद की फसल को बहुत कम देखभाल की जरुरत होती है। अमरूद को आम, केला और खट्टे फल के बाद चौथा स्थान दिया गया है। अमरूद का पेड़ अन्य फल देने वाले पेड़ों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर है क्योंकि यह उत्पादक, कठोर और अनुकूलनीय है। अमरूद की खेती या अमरूद का उत्पादन करने में दुनिया में भारत का चौथा स्थान है। भारत से अमरूद आयात करने वाले प्रमुख देशों में अमेरिका, यूएई, नीदरलैंड, सऊदी अरब, जॉर्डन और कुवैत शामिल हैं। तो चलिए अमरूद की बागवानी की पूरी जानकारी बताते है।

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अमरूद खाने के फायदे एवम उपयोग

  • उसका विटामिन सी सर्दी और खांसी को रोकता है।
  • अमरूद की पत्तियों का काढ़ा स्किन टोनर का काम करता है।
  • सभी पोषक तत्वों और फाइबर का मिश्रण अमरूद को वजन घटाने का विकल्प है।
  • कैंसर के खतरे को नस्ट करके कम करता है।
  • सभी सेवन करने वाले को अमरूद इम्युनिटी को बूस्ट करता है।
  • अमरूद का सेवन बढ़ती उम्र की समस्या से छुटकारा दिलाता है।
  • अमरूद फल का मैग्नीशियम मांसपेशियों और नसों को आराम देता है।
  • विटामिन ए की उपस्थिति आंखों की रोशनी में सुधार करता है।
  • विटामिन बी-9 और फोलिक एसिड भ्रूण के तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करते हैं। 
  • इसलिए गर्भवती महिलाओं को उसके सेवन की सलाह दी जाती है।
  • विटामिन बी की उपस्थितिअमरुद को मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए अच्छा बनाती है।
  • यह फल आहार फाइबर से भरपूर होने के कारन कब्ज की समस्या का इलाज है।
  • फल शरीर में सोडियम और पोटेशियम के स्तर को संतुलित करता है। 
  • जिससे हृदय स्वास्थ्य और रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
  • मसूड़ों की सूजन, मुंह के छालों और दांतों के दर्द के लिए अमरूद के पत्तों के रस की सलाह दी जाती है।

Nutrients of Guava अमरूद के पोषक तत्व

कार्बोहाइड्रेट 14.32 g
वसा 0.95 g
प्रोटीन 2.55g
विटामिन बी६0.11 mg
विटामिन सी 228.3 mg
विटामिन के 2.2 g
कैल्शियम 18 mg
लौह 0.26 mg
मैग्नेशियम 22 mg
मैंगनीज़ 0.15 mg
फास्फोरस 40 mg
पोटैशियम 417 mg
सोडियम2 mg
अमरूद की फोटो गैलरी

Guava Farming जलवायु 

किसानो को अमरुद की खेती करने के लिए गर्म और शुष्क जलवायु की जरुरत होती है। क्योकि उस वातावरण अमरुद को अनुकूल है। अमरुद की आदर्श पैदावार लेने के लिए 15 से 30 सेंटीग्रेड तापमान सबसे अच्छा माना जाता है। शुष्क जलवायु को अमरूद का पेड़ बहुत आसानी से सहन कर सकता है। अपरूद का पौधा कोई भी किसान बहुत आसानी से तैयार कर सकता है। क्योकि उसको उगाने में जलवायु के उतार-चढ़ाव का बहुत ज्यादा असर भी होता है। और तैयार करने में बहुत आसान तरीका अपना सकते है।

Soil Requirement For Guava Farming भूमि और तैयारी

अमरूद के पौधे व्या किसी भी प्रकार की मिट्टी में उग सकते हैं। मगर सबसे उपयुक्त मिट्टी की स्थिति अच्छी तरह से सूखा मिट्टी या उच्च कार्बनिक सामग्री के साथ रेतीली दोमट है। मिट्टी का pH लगभग 5 से 7 होना बहुत अच्छा मानाजाता है। पौधे समुद्र तल से 1600 फीट की ऊंचाई पर जीवित रह सकते हैं। पुरे वर्ष भर वर्षा के साथ अमरूद की खेती के लिए जलवायु शुष्क होनी चाहिए। उच्च हवा का वेग अमरूद के पेड़ों के लिए उपयुक्त नहीं है। उसके लिए न्यूनतम वर्षा 1000 से 2000 मिमी के बीच और तापमान 23 से 28˚C होना चाहिए।

अमरूद की बागवानी की पूरी जानकारी

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Guava Farming Advanced varieties उन्नत किस्में

  • अनाकापल्ली
  • इलाहाबाद सफेदा
  • लखनऊ 49
  • चित्तीदार
  • बनारसी
  • बरुईपुर
  • हफ्शी
  • दुधे खाजा
  • चिकना हरा
  • नागपुर बीजरहित
  • अर्का मृदुला
  • अर्का अमूल्य
  • सरदार
  • थाई किस्म – सफेद मांस और हल्के पीले बीज के साथ हल्के, मीठे फल। इनमें सुगंध कम होती है और ये कुरकुरे होते हैं। फल रोपण से 2 या 3 वर्षों में दिखाई देते हैं और आकार में अंडाकार होते हैं। यह मूल रूप से एक ग्राफ्टेड किस्म है।
  • हवाईयन उपभेद – अमरूद का स्वाद खट्टा होता है।
  • गोएना क्वेज़ो डी बोला – यह एनएसआईसी द्वारा विकसित किस्म है।
  • सुप्रीम – फ्लोरिडा की किस्म घने सफेद मांस के साथ फल पैदा करती है।
  • बीजरहित किस्म – कोई बीज गुहा नहीं, बल्कि मोटा और मांसल फल।
  • रेड इंडियन रॉल्फ्स और रूबी: बड़े बीज वाली किस्म।
  • वियतनाम अमरूद – मध्यम बीज और मीठे स्वाद के साथ मलाईदार सफेद मांसल होता है।

Guava Farming में रोपण

अमरूद के पौधे को जुलाई और अगस्त यानि बारिश के महीनो में लगाना चाहिए। सिंचित वाले विस्तारो में पौधों को फरवरी और मार्च के महीने में भी लगाया सकते है। अरूद को कई तरीके से उगाया सकते है मगर अमरूद का पौधा कलम विधि से लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। उसका मुख्य कारन पौधों पर फल जल्द और बीज द्वारा लगाने से ज्यादा समय लगता है।

पौधों को 60 सेंटीमीटर लंबाई, 60 सेंटीमीटर चैड़ाई और 60 सेंटीमीटर गहराई के गड्ढ़ों में लगाया जाता है।  रोपाई के दस दिन पहले उसके गड्ढ़ों को तैयार करके छोड़ दें। उससे मिट्टी के रोगों की संभावना नस्ट होती है। पौधे की बुवाई से पहले गड्ढ़ों में दस किलो गोबर खाद, 250 सौ ग्राम पोटाष, 100 ग्राम मिथाइल पैराथियॉन पाउडर और फॉस्फेट 500 ग्राम डालके मिट्टी से भरकर सिंचाई करना है।

Guava Photos

Guava Farming में रोपण में सिंचाई

अमरूद की खेती में सिंचाई आवश्यकताएँ – अमरूद के पौधे सूखे के प्रति सहनशील होते हैं। मगर लंबे समय सूखा नहीं होना चाहिए। अच्छी फसल और उत्पादन के लिए फसलों की सिंचाई के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। सिंचाई से फल उत्पादन में वृद्धि के संकेत मिलने की उम्मीद है। गर्मियों में 7-10 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई पद्धति से पौधों की बेहतर उपज में मदद मिल सकती है और यह बेहतर जल उपयोग भी मानाजाता है।

Guava Farming Manures and Fertilizers

अमरूद के पेड़ अकार्बनिक उर्वरकों और जैविक खादों से अच्छा विकास देते हैं। मिट्टी की स्थिति और पत्ती की संरचना हमें पौधों की उर्वरक आवश्यकता को निर्धारित होती है। उर्वरक की कुल मात्रा तीन विभाजित खुराकों में डाली जाती है। 33% उर्वरक फरवरी में, 33% मई या जून में और शेष सितंबर में डाला जाता है। 4 साल तक के युवा पौधों के लिए गाय का गोबर या जैविक खाद 10 किलो, 40-200 ग्राम यूरिया, 100-600 ग्राम सुपरफॉस्फेट और 40-225 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की आपूर्ति की जाती है। फसलों को फलने के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस उर्वरक सबसे जरुरी और आवश्यक हैं। उसके अलावा आप भूमि परीक्षण के मुताबिक डाल सकते है।

Guava Photo gallery

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Guava Farming Weed control

अमरूद के पौधे के सही विकास और अच्छी पैदावार के लिए खरपतवार की रोकथाम जरूरी है। खरपतवार की वृद्धि की जांच के लिए मार्च, जुलाई और सितंबर महीने में ग्रामोक्सोन 6 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर के स्प्रे करना चाहिए। खरपतवार के अंकुरन के बाद गलाईफोसेट 1.6 लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर फूल पड़ने और उनकी उंचाई 15 से 20 सैं.मी. तक स्प्रे करना चाहिए।

पौधे की देखभाल और रोग नियंत्रण

फल की मक्खी –

वह अमरूद का गंभीर कीट होता है। मादा मक्खी नए फलों के अंदर अंडे देती है। उसके बाद नए कीट फल के गुद्दे को खाते हैं। जिससे फल गलना शुरू हो जाता है और गिर जाता है।

यह फल को बारिश के मौसम में नहीं बोयें। समय पर फल की तुड़ाई करें। प्रभावित शाखाओं को खेत में से बाहर निकाल नष्ट कर दें। फैनवेलरेट 80 मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर सप्ताह के अंतराल पर स्प्रे करना चाहिए।

मिली बग – पौधे के भागों से रस चूसते हैं, उससे पौधा कमज़ोर हो जाता है। कीटों का हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 50 ई सी 300 मि.ली. को 100 लीटर पानी में डालके स्प्रे करें।

अमरूद का शाख का कीट – यह अमरुद का गंभीर कीट है। प्रभावित शाखा सूख जाती है। उसका हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 500 मि.ली. या क्विनलफॉस 400 मि.ली. को स्प्रे करें।

चेपा – अमरूद का गंभीर और आम कीट है। प्रौढ़ और छोटे कीट पौधे में से रस चूसकर उसे कमज़ोर कर देते हैं। उसका हमला दिखे तो डाइमैथोएट 20 मि.ली. का स्प्रे करना चाहिए।

अमरूद की खेती
अमरूद की खेती

कटाई और छंटाई

रोपाई के शुरुआती साल में कटाई-छँटाई का कार्य कर पौधों को अच्छा आकार दे देना है। पौधों के विकास के लिये पहले उन्हें 60-90 सें.मी. तक सीधा बढ़ने देना है। उसके बाद 15-20 से.मी. के अंतर पर 3-4 शाखायें पसंद करना है। बाद में मुख्य तने के शीर्ष एवं किनारे की शाखाओं की कटाई एवं छँटाई करें। बड़े पेड़ों से सूखी तथा रोगग्रस्त टहनियों को नस्ट करें। तने के आस-पास भूमि की सतह से निकलने वाले कल्लों को दूर करते रहना है। पुराने पौधे की उत्पादन क्षमता घट गई हो उनकी शाखाओं की कटाई करें।

Guava Farming Digging and production पैदावार

भारत में अमरूद का उत्पादन शुरू से ही कई गुना बढ़ गया है। उद्योग में औसत उत्पादन लगभग 9.9 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। फूल आने के 125 से 130 दिनों के पश्यात अमरूद के फलों की तुड़ाई की जाती है। उस समय फल हरे से हल्के पीले होने लगते हैं। यह फसल में एक पौधे से वर्ष में करीब 400 से 600 फल का उत्पादन लिए जा सकते हैं। उसका वजन 125 से 150 तक होता है।

Guava Photo

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Guava Farming Video

Interesting Fact

  • अमरूद के बीज का तेल बीटा कैरोटीन, विटामिन ए और सी, तांबा, जस्ता, सेलेनियम का स्रोत है।
  • अमरूद की बागवानी कर के किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 
  • उसे उष्णकटिबंधीय और उप- उष्णकटिबंधीय विस्तारो में उगाया जाता है।
  • अमरूद के पौधे 5 डिग्री की ठंड और 45 डिग्री की गर्मी झेलने की ताकत रखता है।
  • यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। 
  • अमरूद को बीज, शाखा कटिंग, ग्राफ्टिंग और एयर लेयरिंग से प्रचारित किया जा सकता है।
  • सभी तरह की मिट्टी में अमरूद की बागवानी कर सकते है लेकिन बुलई दोमट मिट्टी आदर्श है। 

FAQ

Q .अमरूद का पेड़ कितने दिन में फल देता है

फूल आने के बाद 120-140 दिन बाद फल पकने शुरू हो जाते हैं।

Q .अमरूद की खेती कब करें?

अमरूद के पौधे जुलाई से अगस्त और सिंचाई की सुविधा में फरवरी-मार्च में लगा सकते हैं।

Q .सबसे अच्छा अमरूद कौन सा है?

इलाहाबाद सफेदा अमरूद की सबसे अच्छी क़िस्म है। 

Q .1 एकड़ में अमरूद के कितने पौधे लगेंगे?

132 पौधे प्रति एकड़ लगाए जाते हैं।

Q .अमरुद के पौधे में कौन सी खाद डालें?

पौधे के तने के भाग को छोड़कर गहरी गुड़ाई करके सड़ी गोबर और एनपीके रासायनिक खाद का डालना चाहिए।

Q .अमरूद का पेड़ कैसे लगाएं

अमरूद को बीज, शाखा कटिंग, ग्राफ्टिंग और एयर लेयरिंग से लगा जा सकता है।

Q .आम का पेड़ कितने साल में फल देता है?

चार-पाँच साल में फलना शुरू, 12 साल में पूर्ण प्रौढ़ होते और 60-70 साल तक अच्छी तरह फलते है।

Conclusion

आपको मेरा Guava Farming In Hindi | Guava Cultivation बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Organic Guava Farming, Guava fruit, Guava tree और Guava plant से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

Note

आपके पास guava benefits , guava vitamins या guava cultivation in india की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।

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