Kiwi Farming in hindi – हमारे भारतीय बाजारों में आज कल एक खास फ़ल देखा जा रहे है। यह विदेशी फ्रुट को kiwi fruit के नाम से लोग जानते है। यह फल की खेती करने के लिए जनवरी माह अनुकूल होता है। और उसको स्पेन, फ्रांस, चिली, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इटली, अमेरिका और चीन जैसे देशो मे बहुत ज्यादा उगाया जाता है। सामान्य कीवी के फल में विटामिन बी और सी से भरपूर और फास्फोरस, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे खनिज भी पाए जाते हैं। यह फल को सलाद और डेसर्ट में और ताजा फल भी खा सकते है।
आज के समय में हमारे भारत में भी KIWI KI KHETI शुरू हुई है। आज हम kiwi farming in india कहा होती है। कैसे खेती करते है। उसकी सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। हमारे भारत मेें कीवी की खेती अरुणाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में में ज्यादातर की जाती हैं। यानि भारत में भी कीवी फल की खेती की खेती व्यापक रूप से की जाती है। तो चलिए kiwi fruit in hindi में आपको Kiwi Planting, kiwi fruit benefits और kiwi benefits की जानकारी के साथ Kiwi ki Kheti Kahan Hoti Hai Puri Jankari बताने वाले है।
Kiwi Farming क्या हैं & कीवी की खेती कैसे करते है –
स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर कीवी एक विदेशी फल है। जिसने आज के समय में लोगों के खान-पान में जगह बनाई है। क्योकि यह फल में विटामिल सी, ई, फाइबर, कॉपर, सोडियम, एंटी ऑक्सीडेंट और पोटेशियम पाया जाता है। एव संतरे से भी कई गुना ज्यादा विटामिन सी देखने को मिलता है। हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम को बहुत ही मजबूत बनाये रखता है। और शरीर को कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता और फायदेमंद है। आज भारत के साथ विदेशी बाजार में अच्छे दाम से बिकने वाला कीवी में मौजूद अच्छे गुणों के कारन देश और दुनिया में बहुत ज्यादा मांग रहती है। कीवी की बढ़ती मांग के कारण इसकी बागवानी प्रचलत तेज गति से बढ़ रहा है।

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कीवी फल का नाम क्यों पड़ा ?
कीवी फ्रूट को सबसे पहले चाइनीज गुजबेरी के नाम से पहचाना जाता था। मगर 1960 की साल के पश्यात न्यूजीलैंड देश में कीवी फल का व्यवसायीकरण होना शुरू हुआ था। उसके बाद में चाइनीज गुजबेरी को कीवी फल का नाम दिया गया था। उसका एक कारन यह भी बताया जाता है की यह फल का आकार न्यूजीलैंड की राष्ट्रीय पक्षी kiwi bird के जैसा था। उसिलिये उसका नाम कीवी रखा गया है।
स्वास्थ्य लाभ एव विशेषता –
- उसमे विटामिन सी, संतरे से 5 गुना देखे को मिलता है।
- कीवी में 20 से भी ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं।
- विटामिंस, पोटेशियम, कॉपर, फाइबर से भरपूर कीवी फ्रूट को सुपर फ्रूट भी कहा जाता है।
- कीवी का उपयोग एव सेवन डिस्प्रिन थैरेपी के रूप में कर सकते हैं।
- अनोखा कीवी फल डेंगू के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है।
- फल शरीर में शरीर की रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाता है
- 100 ग्राम कीवी फल में 100 मिली विटामिन सी होता है।
- उसका पोटैशियम हाई ब्लड प्रेशर के लिए दवाई के रूप में काम करता है।

Kiwi Farming के लिए जलवायु –
यह खेती करने के लिए मौसम की बात करे तो किवी फल का पौधा पर्णपाती पौधा होता है। हमारे देश में मध्यवर्ती विभागों में 600 से 1500 मीटर की उँचाई तक उसको सफलतापूर्वक उगाया जाता है। उसकी वजह ये है की परिस्थितियां एव जलवायु उसके अनुरूप होना बहुत आवश्यक होना बहुत जरुरी है। कीवी पौधे पर अप्रैल में फूल आते हैं। यह समय पाले का प्रकोप फूल से फल बनने में अवरोध खड़ा करता है।
यानि जिस भी विभागों में पाले की समस्या रहती हो उस स्थान पर फल की बागबानी अच्छी एव सफलतापूर्वक नहीं होती है। उसको उगाने ने के लिए गर्मियों के मौसम 35 डिग्री से कम तापमान जरुरी है। सर्दियों में 7 डिग्री सेल्सियस तापमान लगभग 100 से 200 घण्टों का मिलना। उसके साथ तेज हवाएं चलती हो यह भी अच्छा रहता है। कीवी के लिए गर्मियों के मौसम जैसे की मई-जून और सितम्बर अक्टूबर में सिंचाई की भी जरुरत रहती है।
उपयुक्त मिट्टी & भूमि की तैयारी –
कीवी फल की खेती के लिए जिस जमीन में जल निकास की व्यवस्था हो कीवी के लिए सर्वोत्तम रहती है । उपजाऊ, गहरी, अच्छी जल निकासी वाली, बलुई रेतीली दोमट मिट्टी खेती के लिए आवश्यक होती है। जिस भी भूमि में पानी का निकास हो सके वह कीवी फल की बेलों के विकास के लिए सबसे उपयुक्त होती है। यह फल की बेलें ज्यादा लवणयुक्त भूमि के प्रति सहनशील हैं। एव उसको 0.25 पीपीएम से कम बोरान व सोडियम लवण तथा 0.75 से कम विद्युत चालकता, जिसका पीएच 7.3 से कम हो ऐसी भूमि में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। जिस जमीन में पानी रुका रहता हो यह भूमि कीवी फल की खेती के लिए ठीक नहींं होती है। मिट्टी तैयार करके खेत की खाद और गड्ढे भरने का मिश्रण दिसंबर महीने में करना चाहिए।

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खेती की उन्नत किस्में –
हमारे देश में कीवी फल की खेती की मुख्य मादा किस्में ब्रूनो, हेवर्ड, एलिसन, एबट एव मोन्टी है। और नर किस्में में तोमुरी एव एलीसन हैं| वह प्रजातियां एक्टीनिडिया डेलीसियोसा में आती हैं। उसके अलावा चीन में दो तिहाई उत्पादन एक्टीनिडिया चाइनेन्सिस का होता रहता है। यह कीवी फल किस्म के फल पकने के समय चिकना और कम रोंयेदार होता हैं। हमारे भारत के कुछ किस्म बताते है।
एलिसन – यह किस्म का फल लम्बाई में कुछ मीठा, एबट, मोटा और फूलने और मध्य समय में पकने और ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म है। यह एबट से मिलता जुलता फल का वजन तक़रीबन 60 से 70 ग्राम रहता है।
एबट – यह किस्म का फल मध्यम अण्डाकार फल, स्वाद में मीठा होता है। यह फूल का सभी किस्मों से पहले खिलना होता है। यह फल का वजन तक़रीबन 50 से 60 ग्राम का रहता है।
मौन्टी – यह किस्म का फल सभी किस्म के बाद फूलने वाला होता है। यह ज्यादा फलदायक, ज्यादा फलन वाली किस्म, फल लम्बूतरा और डण्डी की ओर कुछ नुकीला होता है। यह फल का वजन 60 से 70 ग्राम का रहता है।
हेवर्ड – यह कीवी फल आकार में बड़ा, अपेक्षाकृत गोल, देरी से फूलने वाली किस्म, भण्डारण योग्य फल, ज्यादा प्रचलित किस्म और फल कुछ कम मिठास वाला होता है। यह फल का वजन तक़रीबन 90 से 120 ग्राम रहता है।
ब्रूनो – यह किस्म का फल गहरे भूरे रंग का, अधिक पैदावार देने वाला, बड़े आकार वाला फल, हेवर्ड की अपेक्षा फल छोटा होता है। यह फल का वजन तक़रीबन 60 ग्राम रहता है।
बुवाई एव पौध रोपण –
आपको कीवी की खेती में पौध से पौध की दूरी तक़रीबन 6 मीटर रखनी होती है। एक लाइन से दूसरी लाइन दूरी 4 मीटर तक रख सकते है। यह बैल पर लगने वाला पौधा होता है। और नर एव मादा 2 दोनों तरह के पौधे को लगाना होते हैं। यह खेती करने के लिए हर 9 मादा पौधों के लिए एक नर पौधा लगाना है। एक हेक्टेयर में लगभग 415 पौध लगा सकते है।
Kiwi Farming में पौधे कैसे तैयार करें –
कीवी के पौध बडिंग विधि, ग्राफ्टिंग और लेयरिंग विधि जैसी तीन प्रक्रियाओं में तैयार होते है।

ग्राफ्टिंग –
कलम विधि या ग्राफ्टिंग से कीवी की पौध को तैयार करने के लिए पुराने पौधे से उसकी शाखाओं को काट देते है। उस शाखा को काटा करते है, जिसकी 2 से 3 कलियां होती है। यह शाखाए 15 से 20 सेमी लम्बी होना जरुरी है । उसको 1000 पीपीएम आईबी नाम का रूट ग्रोथ हार्मोन लगाकर जमीन में गाड़ देंना है । उसे गाडऩे के पश्यात वह हिलना नहीं चाहिए। एव उस पर तेज धूप नहीं लगनी चाहिए। कलम करना का काम अक्सर जनवरी में होता है। उसी से यह पौधा एक साल बाद रोपाई के लिए तैयार है।
लेयरिंग विधि –
कीवी फल के पौध की में एक साल पुरानी टहनी यानि शाखा को एक इंच माप की छाल चारों तरफ से हटानी लेना। उसे के चारों तरफ अच्छी तरह से मिट्टी बांध देंना है । उस मिटटी में हवा नहीं जानी चाहिए ऐसा बांधना है । उसके पश्यात एक महीना होते ही उसमे से नस्से निकलना शुरू होती है। उस समय शाखा को पौध से काटकर दूसरे स्थान पर लगाने के लिए तैयार हो जाती है।

बडिंग विधि –
यह विधि से कीवी का पौधा निकलना सबसे अच्छा कहाजाता है। उसमे कीवी फल से बीजों को निकालना एव उसे साफ करके सुखा लेना है। जब भी यह बीज सुख जाते है। तो बुवाई कर सकते है। उसे बुवाई के एक सप्ताह तक उस पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए। उस के पूर्ण विकास होने तक अंदर ही रखना चाहिए। जब पौधे में 4 से 5 पत्ते आ जाए तो आप बहुत आसानी से रोपाई कर सकते है।
Kiwi Farming में पौधों की सिंचाई –
आप अगर कीवी की खेती करते है। तो उसके पौधों को गर्मियों के मौसम में ज्यादा पानी की जरूरत रहती है। आपको गर्मियों के समय में 10 से 15 दिनों में खेत में पानी देना चाहिए। आप अगर अच्छे से सिंचाई करते है। तो आपकी उपज बहुत ही ज्यादा होने की संभावना रहती है। कीवी फल को उगने के शुरुआती दिनों में यानि सितंबर और अक्टूबर के महीने में सिंचाई ज्यादा जरुरी है।

उर्वरक एव खाद –
खेती की में बेलों की अधिक बढ़ोतरी, उत्तम एव ज्यादा पैदावार के लिए खाद की आवश्यकता होती है। खाद की मात्रा को जमीन की उपजाऊ शक्ति व पैदावार के मुताबिक घटा बढा सकते है। कीवी फल के एक पूर्ण विकसित पौधों में 6 x 5 मीटर में 750 से 800 ग्राम नाईट्रोजन, 400 से 500 ग्राम फॉस्फोरस और 700 ग्राम पोटाश की दो विभागों में जरुरत रहती है। पहले भाग को जनवरी, फरवरी में और दूसरा भाग को अप्रैल, मई में उसपर फल लगने के समय डालना चाहिए। लेकिन आप कितनी दुरी से उसे लगते है। यह पहले देखे बाद मे कितना खाद डालना तय करे।

Kiwi Farming में खरपतवार, गुड़ाई –
कीवी फल के खेत एव बागों में खरपतवारों को उगने नहीं देना है।
बीज संबर्धन से खेती को अच्छी बनाने के दो तरीके है।
उसके लिए अच्छी भूमि प्रबन्ध के लिए आवश्यक है।
प्राकृतिक खरपतवार को दराती या अन्य यंत्र से काटते रहना है।
कटी हुई पत्तियों को जमीन पर उस स्थान ही रहने देते है।
रोग और रोकथाम –
कीवी के बागो में ज्यादातर कालर रॉट, जड़ गलन, क्राउन रॉट जैसे रोग होते हैं। भूमि पर फफूंद लगने के कारन से यह रोग होते हैं। यह रोगों बरसात और गर्मियों के मौसम में अधिक फैलते है। उसमे पत्तियां मुरझाकर छोटी आकार में हो जाती है। शाखाएँ सूख जाती और जड़े गलकर पौध नस्ट हो जाता है। उसे रोकथाम के उपाय बताये तो कीवी की पौध को फफूंद से बचाने के लिए। उसकी जड़ों में पानी नहीं भरा रखना है। यानि आपको जल निकासी की व्यवस्था करनी है। दूसरा बैक्टीरियल लीफ स्पॉट – कीवी के बागो में बसंत ऋतु के मौसम में पौधे की पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे होते है। उसे रोकने के लिए आपको कली खिलने से पहले जीवाणुनाशक दवा का छिडक़ाव करना होता है।

फलों की तुड़ाई –
अक्तूबर से दिसम्बर के बीच कीवी के फल पकते हैं। उस समय बाजार में दूसरे फल बहुत कम होते हैं। फलों तोड़ने के समय थोड़ा सख्त तोड़ाना है। क्योकि दूर बाजारों में भेजने के लिए पैकिंग की जरुरत रहती है। सामान्य वातावरण में उनके फल को एक महीने तक एव शीत भण्डार में 4 महीने तक आप संग्रह कर सकते है। उसको फ्रिज में रखा जाए तो सिकुड़ते नहीं हैं।
Kiwi Farming की उपज एव पैदवार
पैदावार या उपज की बात करे तो कीवी फल कई बातों पर निर्भर रहता है। जैसे की खेत की जलवायु, परागण, किस्म, खाद और उर्वरक, सधाई, काट-छांट और सिंचाई करने के तरीके के पर उसकी उपज निर्भर रहती है| किवी फल के पौधे तक़रीबन चार से पांच साल में फल देना शुरू करदेता है। और पूर्ण विकसित पौधा प्रति बेल से पैदावार 25 से 100 किलोग्राम दे सकता है।

कीवी प्लांट/कीवी की बागवानी की जानकारी –
कीवी की खेती एव बागवानी की जानकारी के लिए निम्न जगह पर संपर्क कर सकते है।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड
74/बी फेज 2 , पंडितवारी, राजपुर रोड, देहरादून
फोन नंबर- 0135-2774272
Kiwi Farming Video –
Interesting Fact –
- कीवी के पौधों को गर्मियों में ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है।
- कीवी की खेती के लिए जनवरी का महीना सबसे अच्छा होता है।
- चीन देश का कीवी फल को चाइनीज गूजबैरी भी कहा जाता है।
- पौष्टिकता से भरपूर कीवी फल को लोग बड़े पसंद से खाते हैं।
- भारत में 1960 में कीवी फल को सबसे पहले बंगलौर में लगाया गया था।
- कीवी फल के नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं।
- कीवी फल की बेलों को अंगूर की तरह तारों के सहारे की आवश्यकता होती है।
- पौधे बीजू पौधे पर बडिंग या कलम करके तैयार किए जाते हैं।
- अच्छी कीवी की खेती से लाखों रुपये कमाने का मौका मिलता है।
FAQ –
Q : कीवी की खेती कौन सी जमीन में होती है ?
Ans : उपजाऊ, गहरी, अच्छी जल निकासी वाली भूमि में कीवी की खेती होती है।
Q : कीवी का पौधा कैसे उगाया जाता है?
Ans : कीवी के पौधे बडिंग विधि, ग्राफ्टिंग और लेयरिंग विधि से तैयार होते है।
Q : एक दिन में कितने कीवी फल खाने चाहिए?
Ans : एक दिन में एक फल और बच्चे को सप्ताह में एक या दो कीवी खाने चाहिए।
Q : कीवी फल कैसे किलो है?
Ans : बाजार में कीवी फल (kiwi fruit price) 60 से 80 रुपए प्रति फल बिकते है।
Q : कीवी का पेड़ कितने दिनों में फल देने लगता है?
Ans : चार साल में तैयार होने वाला कीवी का पौधा 40 वर्ष तक फल देता है।
Q : कीवी फल की कीमत कितनी है?
Ans : price की बात करे तो 20 रू per pic से 35 रू तक बिकता है।
Q : कीवी कहाँ पाया जाता है?
स्पेन, फ्रांस, चिली, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इटली, अमेरिका और चीन जैसे देशो मे उगाया जाता है।
Q : कीवी फल क्या काम आता है?
Ans : यह खूब सूरत फल को खाने के लिए उपयोग होता है।
Q : कीवी फ्रूट को हिंदी में क्या कहते हैं?
Ans : kiwi fruit meaning in hindi कीवी फ़ल ही कहते है।
Conclusion –
आपको मेरा Kiwi Farming बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने kiwi farming india
और kiwi farming in hindi से सम्बंधित जानकारी दी है।
अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।
Note –
आपके पास kiwi farming in maharashtra या kiwi farming in gujarat की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।