Indian Medicinal Plants In Hindi में आपका स्वागत है। प्राचीनकाल से ही हमारे देश में रोग निदान के लिये विभिन्न प्रकार के पौधों का प्रयोग होता आया है। औषधीय गुणों से भरपूर यह ज्यादातर पौधे जंगली होते हैं । तो कुछ पौधो को खेती से उगाया भी जाता है । औषधीय जड़ी बूटियों जैसे तुलसी के पत्ते, अदरक, हल्दी, दालचीनी और पुदीना को आमतौर पर हमारे खाने में उपयोग किए जाते हैं। यह सभी औषध हमारे शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। और हमें तनाव से राहत, बेहतर पाचन, कोल्ड और फ्लू और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ साथ कई फायदे देते है।
आज हम कुछ औषधीय गुणों से भरपूर औषधीय पौधो की जानकारी बताने वाले है। अगर आप चाहे तो अपने घर पर भी ऊगा सकते है। उसके फायदे प्रयोग और लाभ की जानकारी प्रदान करेंगे। यह पौधों की जड़े, पत्तियाँ, फूल, तने, फल, बीज और छाल का उपयोग भी उपचार के लिये किया जाता है । उन सभी के स्वास्थ्य लाभ बहुत ही अमूल्य है। उसमे एकोनाइट, एरगोट, मुलेठी, हींग, जलाप, मदार, लहसुन, अदरक, सिया, हल्दी, बेलाडोना, चंदन, तुलसी, अफीम, क्वीनाइन और नीम हैं । तो चलिए medicinal plants in india क्या है की जानकारी के साथ medicinal plants names को बताते है।
Indian Medicinal Plants In Hindi –
- बबूल
- कटहल
- चिरचिटी
- डोरी
- कुल्थी/ कुरथी
- अरण्डी/ एरण्ड
- अशोक
- अनार
- शतावर
- दालचीनी
- मालकांगनी/ कुजरी
- चाकोड़
- सरसों
- पत्थरचूर
- पलाश
- सेमल
- पुनर्नवा / खपरा साग
- बांस
- बैर
- चरैयगोडवा
- सिन्दुआर/ निर्गुण्डी
- मेथी
- हर्रे
- बहेड़ा
- अर्जुन
- इमली
- जामुन
- कंटकारी/ रेंगनी
- अमरुद
- पिपली
- करेला
- लाजवंती/लजौली
- पीपल
- आंवला
- दूब घास
- महुआ
- घृतकुमारी/ घेंक्वार
- अड़हुल
- भुई आंवला
- मीठा घास
- दूधिया घास
- करीपत्ता
- हडजोरा /अमृता
- सहिजन / मुनगा
- सदाबहार
- अडूसा
- चिरायता / भुईनीम
- हल्दी
- ब्राम्ही
- ब्राम्ही/ बेंग साग
- तुलसी
- नीम
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तुलसी – Basil Indian Medicinal Plants
औषधीय पौधों की रानी कही जाती तुलसी एक झाड़ीनुमा पौधा है। तुलसी के बीज घुठलीनुमा होते है। और फूल गुच्छेदार तथा बैंगनी रंग के होते हैं। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। मगर यह सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं। लेकिन औषधीय गुणों से भरपूर और सेहत के लिए भी अच्छा कहा जाता है। यह हवा को साफ करता है। उसका उपयोग सर्दी, बुखार और पाचन संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता है। उसकी सुगंध बैक्टीरिया के विकास को रोकती है। और तनाव दूर करता, लंबे जीवन को बढ़ावा देता, खांसी का इलाज, कैंसर, अपच, बालों के झड़ने, हृदय रोगों, मधुमेह, आदि के लिए अच्छा है।

एलोवेरा – Aloe vera
घृतकुमारी/ घेंक्वार यानि एलोवेरा यह औषधीय पौधों का राजा कहा जाता है। यह बहुत ही जाना पहचाना प्रसिध्द पौधा है। यह पौधे की ढाई से तीन इंच चौड़ी, कांटेदार एव नुकीली किनारों वाली पत्तियां गूदेदार होती है। उसके हरे पत्ते में गाढ़ा, लसलसा रंगीन जेली के जैसा रस भरा होता है। यह रस दवा में प्रयोग होता है । एलोवेरा दुनिया भर के घरों मे उगाया जाता है। यह औषधीय पौधे में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। और सेहत और त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। चमड़ी के रोगो जैसे की मुहांसे, दाग में बहुत फायदेमंद साबित होता है। एलोवेरा को चेहरे पर लगाने से चेहरे में ताजगी और चमक आ जाती है। यह पौधे को उगने या बड़े होने में ज्यादा पानी की जरुरत नहीं रहती है।

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पुदीना – Mint
खाने का स्वाद और अच्छी खुशबू देने वाला पुदीना ज्यादातर पानियों वाले स्थान में पायी जाती है। पुदीना में कई औषधीय गुण देखने को मिलते है। यह पौधा को बढ़ने के लिए बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है। इसीलिए ज्यादातर बागानों में और कुआं के बगल मेंदेखने की मिलता है। उसमे से लाजवाब स्वाद वाली पुदीना चटनी भी बनाई जाती है। उसका प्रयोग लू से बचने की लिए शरबत बनाकर पाया जाता है। पुदीना चेहरे के मुहांसों और ब्लैकहेड्स से छुटकारा दिलाता है। अपच को ठीक करने और घावों को भरने में मदद करता है। पत्तियों को पीसकर लगाया जाए तो इससे त्वचा को ठंडक मिलती है। यह सुगंधित औषधीय पौधा कीट और कीड़ों को पीछे हटाने की क्षमता रखता है।

अश्वगंधा – Ashwagandha Indian Medicinal Plants
अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम विथानिआ सोमनीफ़ेरा है। उसके पौधे की जड़ से घोड़े के मूत्र जैसी गंध आती है। उसके कारन ही उसका नाम अवश्गंधा यानि वाजिगंधा पड़ा है। अश्वगंधा एक झाड़ीदार रोमयुक्त पौधा हुआ करता है। अश्वगंधा बहुवर्षीय पौधा पौष्टिक जड़ों से युक्त होता है। अवश्गंधा पौधे की खेती ज्यादा पैसे कमाने के लिए की जाती है। अश्वगंधा के बीज, फल एवं छाल का प्रयोग अलग अलग तरीके और रोगो के लिए होता है। ऐसा भी कहा जाता है। की अश्वगंधा के सेवन से अश्व जैसा उत्साह एव शक्ति उत्पन्न होती है। यह पौधे की जड़ो को चूर्ण बनाकर गठिया ओर जोड़ो के रोगियों को बहुत ही राहत देता है। खांसी तथा अस्थमा और तंत्रिका तंत्र से सम्बन्धी कमजोरी को दूर करने के लिए अवश्गंधा के जड़ का चूर्ण बहुत ही अच्छा साबित होता है।

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नीम – Neem
यह नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। क्योकि भारत में नीम के औषधीय गुणों की जानकारी हज़ारों सालों से रही है। नीम का पैड औषधीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यह पुरे भारत में देखने को मिलता है। और उसकी उंच्चाई तक़रीबन 20 मीटर की देखने को मिलती है। यह बहुत ही अच्छा पेड़ होता है। क्योकि हमारे खेत में भी हमने उगाया है। एक शाखा में करीब 9-12 पत्ते पाए जाते है। नीम के फूल सफ़ेद रंग फ़ल और पत्ते हरे रंग के होते है। नीम का वैज्ञानिक नाम Azadirachta indica और वह Family-Meliaceae सदस्य बताया जाता है। नीम के पेड़ के सभी भाग जैसे की पत्तियाँ, तना, पुष्प, फल सभी को उपयोग में ले सकते हैं । यह एक कृमि-नाशक यानि कीटाणुनाशक है। उसको चर्म रोग, दांतों में कीडा, मुंह से दुर्गंध, दाँतों का दर्द, चर्म विकार, मलेरिया और बाल स्वस्थ के लिए प्रयोग होता है।

आंवला – Gooseberry
यह आंवला का वृक्ष 5-10 मीटर ऊँचा होता है। और स्वाद में यह कटु, तीखे, खट्टे, मधुर और कसैले होते हैं। सभी फलो मे आंवला में विटामिन C की मात्रा अधिक होती है। आंवले का वानस्पतिक नाम (Phyllanthus emblica) एम्बलिका आफिसिनेलिस है। और आंवला यूफोरबियेसी कुल का पेड़ माना जाता है। आंवले के फल शीतलता प्रदान करने वाले विरेचक और मूत्र वाही होते हैं। हर्र और बहेड़ा के साथ त्रिफला चूर्ण के रूप में आवला का सेवन करने से विकार तथा आँखों की रोशनी को ठीक होती है। आंवले के फल से औषधीय गुणों से युक्त बालों का तेल एव मुरब्बा भी बनाया जाता है। आंवला का पेड़ एशिया, यूरोप और अफ़्रीका में भी पाया जाता है। यह कब्ज या पेट में गैस की समस्या को दूर करने के लिए अक्सीर दवा है।

गेंदे का फूल – Marigold
यह गेंदे का फूल घर पर ही बहुत आसानी से उगाया जाता है। यह पौधा स्किन की कई समस्याओं के उपचार के लिए बहुत उपयोगी है। गेंदे का फूल चेहरे के मुहांसे, दाग-धब्बे और सनबर्न को दूर करता है। और आपकी त्वचा को बहुत ही चमकीला बनाये रखता है। लोशन या क्रीम को गेंदा के अर्क में मिला कर स्किन पर लगाने से कई समस्याएं दूर हो जाती है। गेंदे का प्रयोग पाचन समस्याओं एव अल्सर का इलाज करने में किया जाता है। कई घरों में एव बागों में देखे जाने वाला यह फूल की पत्तियां में Anti-inflammatory गुण होते है। जो जोड़ो के दर्द और गठिया रोग से बेहद मदद करता है। यह पौधे की पत्तियों के कुल्ला करने दांत दर्द और फटी एडियों के दर्द में राहत मिलती है।

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Aranya Tulsi – अरण्यतुलसी
यह पौधा बंगाल, आसाम और नैपाल की पहाड़ियों और पूर्वी नैपाल और सिंध में देखने को मिलता है। यह पौधा तक़रीबन आठ से नौ फुट ऊँचा होता है। और अरण्यतुलसी का पौधा डालियों से भरा एव सीधा होता है। उसके पत्ते चार इंच जितने लंबे एव दोनों तरफ से चिकने होते हैं। अरण्यतुलसी का पौधा काला एव सफ़ेद दोनों क़िस्म का होता है। पत्तों को हाथ से रगड़ ने पर तेज सुगंध निकलती है। उसके पत्तो को वात, कफ, नेत्ररोग, वमन, मूर्छा अग्निविसर्प, प्रदाह और पथरी रोग में दर्दियो को दिए जाते है। यह उत्तेजक, शांतिदायक तथा मूत्रनिस्सारक कहा जाता है। अरण्यतुलसी का हमारे आयुर्वेद में बहुत ही महत्व बताया गया है।

Indian Medicinal Plants अंकोल – Ankol
अंकोल का पेड़ पुरे भारत भर में देखने को मिलता है। और शरीफे के पेड़ के जैसा ही दिखाई देता है। यह पेड़ पर बेर के जैसे गोल फल लगते हैं। लेकिन पकने के समय यह फल काले हो जाते हैं । फल से आप छिलका निकाल दो तो बीज पर सफेद गूदा चिपका होता है। यह खाने में बहुत मीठा होता है । उसकी लकडी कड़ी होती है एव छड़ी बनाने में उपयोग होता है। उसकी जड़ की छाल दस्त लाने, वमन कराने, कोढ़ और सर्पदंश जैसे चर्म रोगों में बहुत फायदे मंद रहता है। यानि यह विष को हटाने में उपयोगी है। अंकोल का वनस्पतिक नाम एलैजियम लामार्की या एलैजियम सैल्बीफोलियम है। उसके अलग अलग भाषाओ ने विभिन्न नाम है।

लैवेंडर – Lavender
औषधीय पौधा लैवेंडर एक प्रकार का जड़ी बूटियों वाला पौधा है। और यह पौधा रेतीली एव पत्थरों वाली जमीन में बहुत ही आसानी से देखने को मिलता हैं। यह पौधे को मधुमक्खियाँ बहुत पसंद करती है। क्योकि उसके फूल से शहद बनाते हैं। यह एक प्रकृतिक एंटीसेप्टिक पौधा है। लैवेंडर से कई प्रकार के बाम एव औषधि बनाई जाती है। उसमे से लैवेंडर का तेल भी निकाला जाता है। जो अनेक रोगो में बहुत उपयोगी साबित होता है। गठिया रोग को ठीक करने के लिए ज्यादातर उसका इस्तेमाल होता है। यह पौंधे का तेल मन को शांत रखने में बहुत मदद करता है।

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Indian Medicinal Plants In Hindi Video –
Interesting Fact –
- औषधीय पौधों और जड़ी बूटिया कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
- औषधीय पौधों को भोजन, औषधि, खुशबू, स्वाद और चिकित्सा पद्धतियों में प्रयोग किया जाता है।
- दुनिया भर में चिकित्सा प्रणाली में औषधीय पौधों को बहुत महत्त्व दिया गया है।
- प्राचीनकाल से रोग निदान के लिये कई प्रकार के पौधों का उपयोग होता आया है ।
- हम बहुत ही आसानी से औषधीय पौधों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- छोटी बीमारियों में डॉक्टर के पास जाने से पहले जड़ी बूटियों का प्रयोग कर सकते है।
FAQ –
Q : औषधीय पौधे कौन कौन से हैं?
A : नीम, तुलसी, ब्राम्ही/ बेंग साग, ब्राम्ही, हल्दी, चिरायता और अडूसा औषधीय पौधे है।
Q : औषधि पौधे कितने प्रकार के होते हैं?
A : आयुर्वेद में लगभग 1,200 औषधीय जड़ी-बूटियों का वर्णन है।
Q : औषधि पौधे क्या है?
A : पौधे के किसी भी भाग से दवाएँ बनाई जाती हैं उसे औषधीय पौधे कहते हैं।
Q : कौन सा पेड़ औषधि के काम आता है?
A : रोगों के उपचार के लिए उपयोग होता पेड़ एव पौधे औषधि के काम आता है।
Q : अश्वगंधा कौन सी बीमारी में काम आता है?
A : अश्वगंधा के सेवन से दिल की बीमारिया का खतरा कम हो जाता है।
Conclusion –
आपको मेरा Medicinal Plants In Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने uses medicinal plants
और herbal and medicinal plants से सम्बंधित जानकारी दी है।
अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।
Note –
आपके पास medicinal plants in kerala या medicinal plants and their uses की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।