Strawberry Farming in Hindi में आपका स्वागत है। स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें? जानें कमाई, स्ट्रॉबेरी की कीमत, लाभ, स्ट्रॉबेरी का भाव कितना है। स्ट्रॉबेरी लाल रंग का बहुत ही नाज़ुक फल होता है। जो स्वाद में हल्का खट्टा, हल्का मीठा और बहुत टेस्टी होता है। स्ट्रॉबेरी का फल डे इलाके में उगाया जाता है। मगर आज के समय में अनेक तकनिकी सुविधाओं की सहायता से उसकी खेती सभी क्षेत्र में जा सकती है। स्ट्रॉबेरी की खेती करके किसान सबसे ज्यादा मुनाफा निकाल सकता है। स्ट्रॉबेरी (Strawberry) फल फ़्रागार्या जाति का एक पेड़ होता कहा जाता है। विश्व भर में ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में स्ट्रॉबेरी की महत्त्व भूमिका रहती है। तो चलिए स्ट्रॉबेरी की खेती करके कमाई करें बताते है।
Strawberry History
1960 में सर्वप्रथम हमारे देश में स्ट्राबेरी की खेती (strawberry plant) हीमाचल प्रदेश एव उत्तर प्रदेश के कुछ पहाड़ी विस्तारो में शुरू हुई थी। लेकिन अच्छी किस्मों की अनुउपब्धता और तकनीकी की जानकारी कम होने के कारण उसकी खेती में ज्यादा सफलता नहीं मिली थी। यह सबसे ठन्डे प्रदेशों में उगने वाला एक फल है। इसीलिए स्ट्राबेरी की खेती भारत में कम होती है। आज हम strawberry farming in india in hindi की जानकरी बताएँगे। तो चलिए strawberry farming guide बताते है।
Information about Strawberry
कोई भी खेती करने से पहले हमें यह पता होना चाहिए की उसकी की खेती करने के बारें में क्या क्या जरुरी है। उस फसल की कितनी किस्में मौजूद है। और उस में सबसे अच्छी किस्म कौनसी है। वैसे ही अगर स्ट्रॉबेरी की किस्मों की बात करे तो स्ट्राबेरी की खेती में 600 प्रजातियों की पहचान आज तक हुई है। उसमे से जो सबसे अच्छी ोे ज्यादा उपज और मुनाफा देने वाली किस्मे की जानकरी है। हम बताएँगे।

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पोषक तत्व
प्रोटीन | 0.7 ग्राम |
पोटैशियम | 164 मिलीग्राम |
वसा | 0.5 ग्राम |
सोडियम | 1.0 मिलीग्राम |
कार्बो हाइड्रेट | 8.4 ग्राम |
लोहा | 1.0 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 21.0 मिलीग्राम |
फास्फोरस | 21.0 मिलीग्राम |
पानी | 89.9 ग्राम |
एस्कार्निक एसिड (विटामिन सी) | 59.0 मिलीग्राम |
राईबोफ्लेबिन बी | 0.07 मिलीग्राम |
विटामिन ए | 6.0 |
थायोमिन बी | 0. 0.3 मिलीग्राम |
नियासीन | 0.60 मिलीग्राम |
स्ट्रॉबेरी की प्रमुख किस्में
आज तक स्ट्राबेरी की 600 प्रजातियाँ विकसित की जा चुकी है। उसमे से आज हम भारत के लिए सबसे अच्छी स्ट्रॉबेरी की चार मुख्य प्रजातियों की जानकारी आपको देने वाले है। अगर आप चाहे तो आपके खेतों में उसको लगा सकते हैं। अगर आप स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते है। तो यही प्रजातियां आपके लिए सबसे अच्छी रहती है। जिसमे ओसो ग्रैन्ड, चैंडलर, ओफरा और कैमारोज शामिल है।
ओसो ग्रैन्ड Strawberry Farming
कैलीफोर्निया में विकसित हुई ओसो ग्रैन्ड किस्म है। उसके फल थोड़े बड़े हुआ करते है। और काम दिनों में फल देने वाली प्रजाति और उसका उत्पादन भी ज्यादा होता है। अगर आपको ज्यादा फल का उत्पादन चाहिए तो यही स्ट्रॉबेरी पौधा लगाने चाहिए। लेकिन उसमे फलों में फटने की समस्या ज्यादा रहती है।

कैमारोज
कैलीफोर्निया में कैमारोज की किस्म विकसित की गई है। यह किस्म के पौधे ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं। और बहुत जल्दी फल देने वाली प्रजाति है। उसके फल स्वाद में बहुत अच्छे होते हैं। काम समय में फल देने वाली किस्म है। यह किस्म के फल से बहुत ही अच्छी महक आती रहती है।
चैंडलर Strawberry Farming
कैलीफोर्निया तैयार और विकसित की गई किस्म चैंडलर है। यह प्रजाति का फल बहुत ही आकर्षक दिखाई देता और उसकी त्वचा नाजुक होती है। सभी किस्मो से यह फल अधिक मीठा होता है। उसमे फफूंद रोगों से बचने के लिए ज्यादा शक्ति होती है। यह प्रजाति के पौधे केलिफोर्निया में भी लगाए जाते है।
ओफरा
इजराईल में विकसित हुई ओफरा किस्म है। अगर आपको उसके समय से पहले खेती करनी है। तो आप ओफरा किस्म लगा सकते है। यह फल बहुत ही सुगन्धि और मीठे होते है। यह प्रजाति में फल उत्पादन बहुत जल्दी शुरू हो जाता है।
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खेती के लिए जरुरी जलवायु और भूमि
Strawberries की खेती के लिए लुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। किसान को उसकी खेती के लिए ph 5.0 से 6.5 तक मान वाली मिट्टी सबसे ज्यादा उपज देने वाली साबित होती है। और स्ट्राबेरी के पौधे को शीतोष्ण जलवायु बहुत अच्छा रहता है। उसिलिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है। उसका तापमान बढ़ने पर स्ट्राबेरी के पौधों में नुकसान होता है। और उपज कम होती है। तो चलिए स्ट्रॉबेरी का बीज कैसे उगाएं? बताते है।

स्ट्रॉबेरी के खेत की तैयारी
यह खेती करने के लिए किसान को सितम्बर महीने में खेत की 3 बार जुताई कर के उसमे एक हेक्टेयर जमीन में 75 टन सड़ी हुई खाद् डालकर उसे मिटटी में मिला देनी चाहिए। साथ में पोटाश और फास्फोरस मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेत तैयार करते समय मिलाना होता है। उसके पौधो को लगाने के लिए बेड तैयार करना चाहिए। उसकी बेड की चौड़ाई 2 फिट रखनी होती है। बेड से बेड की दूरी डेढ़ फिट और उस पर ड्रेप एरिगेशन की पाइपलाइन बिछा देना है। पौधे लगाने के लिए में 20 से 30 सेमी की दूरी पर छेद बनाले स्ट्रॉबेरी के पौधे 10 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक लगाना चाहिए।
स्ट्रॉबेरी की खेती भारत में कैसे करें
स्ट्रॉबेरी की खेती भारत में पर्वतीय भागों और ठंडे इलाकें में की जाती है। उसमे पर्वतीय खेत्र में नैनीताल, हिमाचल प्रदेश, देहरादून, महाबलेश्वर, नीलगिरी, महाराष्ट्र, दार्जलिंग जैसे विभागों में व्यावसायिक रूप से होती रहती है। और मैदानी विभागों में हरियाणा, मेरठ, पंजाब, दिल्ली, बेगलौर और जालंधर में होती है। आज के समय में तकीनीकी काफी बदल चुकी है। स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए किसान को काफी मेहनत और कई बातों का ख्याल रखना होता है।
Manure and Fertilizers Strawberry Farming
खाद व उर्वरक की बात करे तो कोई भी खेती के लिए उसकी जरुरत के मुताबिक खाद देना चाहिए। स्ट्रॉबेरी की खेती में पौधा बहुत नर्म एव नाज़ुक हुआ करते है। उसके पौधो को जरुरत से समय खाद् और उर्वरक देना होता है। आपको अपने मिट्टी परीक्षण के रिपोर्ट को देख के उससे जरुरी पोषकतत्व पौधे को देने होते है। अगर उन्हें टपक से सिंचाई की जाती हो तो नाइट्रोजन फास्फोरस p2o5 और पोटाश k2o देना होता है।

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सिंचाई Strawberry Farming
स्ट्रॉबेरी के पौधे लगा लिए है। तो पौधे लगाने के बाद ही सिंचाई करनी चाहिये। अगर आप सिंचाई नहीं करते तो परेशानी हो सकती है। खेत की नमी को देखकर ही समय-समय पर सिंचाई करनी जरुरी है। उसके पोधो में फल आने तक सूक्ष्म फव्वारे की मदद से सिंचाई करनी जरुरी है। फल लगने के पश्यात टपक सिंचाई का उपयोग कर सकते है।
स्ट्रॉबेरी में लगने वाले कीट, रोग और बचाव
आपके स्ट्रॉबेरी के पौधे में लगने वाले कीटों में मक्खियाँ चेफर, पतंगे, स्ट्राबेरी जड़ विविल्स झरबेरी एक प्रकार का कीड़ा, स्ट्रॉबेरी मुकट कीट कण और रस भृग जैसे कीट यह फसल को ज्यादा नुकसान देते है। आपको नीम की खल पौधों की जड़ों में डालनी चाहिए। अगर उसके अलावा आपको पोधो में रोगों की पहचान कर विज्ञानिकों की सहायता से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना होता है।
स्ट्रॉबेरी के पौधों को सर्दी से बचाएं
आप स्ट्रॉबेरी की खेती पोली हाउस और बिना पोली हाउस से भी कर सकते है। अगर पोली हाउस पहले से है , तो पौधों को सर्दी यानि पाला लगने के चांस बहुत कम होता है। मगर पाले से बचाव के लिए आपको प्लास्टिक लो टनल का उपयोग जरूर करना चाहिए। उसका प्लास्टिक पारदर्शी होना जरुरी है। या प्लास्टिक 100 से 200 माइक्रोन वाला होना चाहिए।
Strawberry Farming में सरकार की मदद
भारत सरकार खेती को ज्यादा महत्व देती रहती है। ओट उसे बढाने के लिए किसानो को प्रोत्साहित कर भी रही है। कोई स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। उन्हें हर राज्य के कृषि विभाग में जाकर जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। लगभग भारत के सभी राज्यों की सरकार 40 से 60 प्रतिशत तक का अनुदान देती रहती है। अगर आपको सभी जानकारी चाहिए तो कृषि विभाग में संपर्क करना चाहिए।

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स्ट्रॉबेरी फल की तुड़ाई
उसका का पौधा 6-7 महीने तक लगातार फल देता रहता है। किसान एक मौसम में एक पौधे से तक़रीबन 700 से 800 ग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन ले सकता हैं। उसके फल पूरी तरह से लाल होने के समय तोड़ सकते हैं। अगर आपको यह फल ज्यादा दूर भेजने होते है। तो आपको लाल होने से पहले तोड़ना जरुरी हैं। पूरी तरह से लाल हुआ फल काफी अच्छा होगा। मगर पूरी तरह से लाल होने वाला फल बहुत जल्दी ही खत्म हो जाता है। उसिलिये सभी साल एक साथ नहीं तोड़ने चाहिए। फल को तोड़ने के समय दंडी को काटना होता है। उसके फलों को हाथ नहीं लगाना चाहिए।
स्ट्रॉबेरी फल की पैकिंग
आप स्ट्रॉबेरी को सही से पैकिंग करके रखने के लिए। उसके फल को प्लास्टिक की प्लेट में पैकिंग करना जरुरी है। उस पेकिंग में हवा जाने के लिए भी छिद्र होने चाहिए। क्योकि उसका तापमान कंट्रोल रखना बहुत जरुरी होता है। स्ट्रॉबेरी को एक साथ स्टोर कर रहे हो तो उसको रखने के लिए। तापमान 5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। एक दिन के बाद 0 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
स्ट्रॉबेरी का भाव, कहा और किसको बेचें
यह बहुत जल्दी बिक जाने वाला फल होता है। क्योकि उसकी मांग अधिक और उत्पादन कम है। स्ट्रॉबेरी फल के भाव बढ़ते ही रहते है। अगले साल यह 200 रूपए किलो के भाव से बाजार में बिकते थे। मगर आज के समय में 600 रूपए तक हो चुके है। अगर आप किसान है। और खेती कर रहे हैं। किसान आसानी से 300 रूपए तक बेच सकते हैं। उसके खरीदार आपको फसल लगने के समय ही मिल जाते हैं। लेकिन फिरभी कोई नहीं है। तो आप लोकल मार्किट में भी इन्हें आसानी से बेच सकते हैं।

स्ट्राबेरी के फायदे (Strawberry Benefits)
- डायबिटीज़ दर्दी को स्ट्रॉबेरी खाने से जोखिम कम हो जाता है।
- उसका सेवन करने से चेहरे की सुन्दरता बनी रहती है।
- स्ट्रॉबेरी खाने से आंखों को मोतियाबिंद से बचा जा सकते है।
- ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होता है।
- कई स्किन प्रॉब्लम से छुटकारा भी पाया जा सकता है।
- दांत के दाग को साफ कर के उन्हें चमकदार बनाती है।
- हार्ट अटैक और स्ट्रोक के रिस्क को कम करता है।
- कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारियों से बचाने में मदद करती है।
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Strawberry Farming in Hindi Video
Interesting Fact Strawberry Farming
- स्ट्रॉबेरी फ़्रागार्या जाति का एक पेड़ होता है।
- जैम, रस, पाइ, आइसक्रीम, मिल्क-शेक, टोफियाँ के रूप में स्ट्रॉबेरी का सेवन कर सकते है।
- दुनिया भर में ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में स्ट्रॉबेरी की मुख्य भूमिका होती है।
- स्ट्राबेरी की आजतक 600 प्रजातियाँ विक्सकित की जा चुकी है।
- स्ट्राबेरी में काफी मात्रा में विटामिन C एवं विटामिन A और K पाया जाता है
- भारत में स्ट्रॉबेरी की अधिकतर किस्में बाहर से मगवाई हुई है।
- स्ट्रॉबेरी फल बहुत नरम और बहुत ही स्वादिष्ट होता है।
Strawberry Farming FAQ
Q : स्ट्रॉबेरी का पौधा कहा मिलेगा?
Ans : स्ट्रॉबेरी के पौधे महाराष्ट्र के पुणे और हिमाचल प्रदेश से मंगाए जाते हैं।
Q : स्ट्रॉबेरी किस मौसम में आती है?
Ans : सितंबर से अप्रेल तक चलती है।
Q : स्ट्रॉबेरी की खेती कहां होती है?
Ans : उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर घाटी, महाराष्ट्र, कालिम्पोंग, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों में स्ट्रॉबेरी की खेती होती है।
Q : स्ट्रॉबेरी का पौधा हमें कितने रूपए का मिलता है?
Ans : स्ट्रॉबेरी का पौधा 3 से 15 रूपए में मिलता है।
Q : स्ट्रॉबेरी की खेती कितने महीनो तक चलती है?
Ans : 7 से 8 महीने तक बेरी की खेती चलती है।
Q : स्ट्रॉबेरी कितने रुपए किलो बिकता है?
Ans : स्ट्रॉबेरी 350 से 400 रुपये प्रति किलो में बिक जाती है।
Q : स्ट्रॉबेरी कब उगाई जाती है?
10 सितंबर से 15 अक्टूबर तक लगा देना आवश्यक है।
Conclusion
आपको मेरा Strawberry Farming in Hindi बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने organic strawberry farming
और strawberry farming hydroponic से सम्बंधित जानकारी दी है।
अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।
Note
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