नमस्कार दोस्तों Watermelon Farming in Hindi | Watermelon Cultivation Information Guide में आपका स्वागत है। आज हम तरबूज की खेती की जानकारी हिंदी में बताने वाले है। तरबूज की उत्पत्ति दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। आज हमारे भारत में एक महत्वपूर्ण खीरा सब्जी और एक उत्कृष्ट रेगिस्तानी फल है। उसके रस में प्रोटीन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट के साथ 92% पानी होता है। जापान में घन आकार के तरबूज सबसे लोकप्रिय हैं। वह कांच के डिब्बे में तरबूज उगाते और घन आकार देते हैं।
हमारे भारत में तरबूज की खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में होती है। तरबूज की फसल 90 से 100 दिन में काट ने के लिए तैयार हो जाती है। उसको आप 10 से 15 दिनों तक इस्तेमाल भी कर सकते हैं। उसकी खेती आमतौर पर नदियों के किनारे होती है। किसानों को कम खाद और कम पानी में अच्छी फसल मिल सकती है। तरबूज की मांग हमारे देश भारत में काफी अच्छी है। उसके मांग के पीछे तरबूज के स्वस्थ पर पड़ने वाले फायदे भी बहुत है।
Watermelon Farming Information in Hindi
गर्मीयो के मौसम में तरबूज एक अत्यन्त लोकप्रिय फल या सब्जी मानी जाती है। क्योकी उसके फल पकने पर काफी मीठे और स्वादिष्ट होते हैं । उसकी खेती हिमालय के तराई विस्तारो से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों में ज्यादा की जाती है। तरबूज के फलो के सेवन से गर्मियों में “लू’’ नहीं लगती और गर्मी के मौसम में राहत मिलती है । तरबूज के रस को नमक के साथ उपयोग करने से मूत्राशय में होने वाले रोगों से बहुत आराम मिलता है। हमारे भारत में उसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक एवं राजस्थान में होती है।

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तरबूज खाने के फायदे एवम उपयोग
- तरबूज में रहा लाइकोपिन त्वचा की चमक को बरकरार रखता है।
- हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में तरबूज एक रामबाण उपाय है।
- दिल संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
- विटामिन और की प्रचुर मात्रा शरीर के इम्यून सिस्टम को भी अच्छा रखता है।
- तरबूज में रहा विटामिन ए आंखों के लिए अच्छा है।
- तरबूज खाने से दिमाग शांत और गुस्सा कम आता है।
- कब्ज की समस्या में तरबूज खाने से दूर हो जाती है।
- तरबूज की तासीर ठंडी होने के कारन दिमाग को शांत रखता है।
- तरबूज के बीज को पीसकर चेहरे पर लगाने से निखार आता है।
- खून की कमी होने पर तरबूज खाने से फायदेमंद साबित होता है।
- तरबूज को चेहरे पर रगड़ने से ब्लैकहेड्स हट जाते हैं।
Watermelon Farming जलवायु
तरबूज की फसल को ज्यादा गर्मी की जरूत होती है। उसलिए तरबूज की खेती करने के लिए सबसे अच्छा मौसम गर्मी का कहाजाता है। लेकिन हम आपको बता दें कि हमारे देश के कुछ ऐसे विस्तार है। जहा पर साल भर तरबूज की खेती की जाती है। उसका मुख्य कारन यह है। की वहा हमेशा गर्म वातावरण देखने को मिलता है। उस प्रदेशो में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश,पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान और तमिलनाडु शामिल है। तरबूज की खेती ठंड में अच्छी नहीं होती है।
Soil Requirement For Watermelon Farming भूमि और तैयारी
तरबूज गहरी उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में अच्छी तरह से होता है। उसके अलावा रेतीली या बलुई दोमट मिट्टी में उगाने पर सर्वोत्तम परिणाम मिलता है। खराब जल निकासी क्षमता वाली मिट्टी तरबूज की खेती के लिए अच्छी नहीं है। एक ही फसल को एक ही खेत में लगातार उगाने से पोषक तत्वों की हानि, उपज कम और रोग का आक्रमण होता है। तरबूज में मिट्टी का पीएच 6-7 के बीच होना जरुरी है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद की जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करते हैं।

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Watermelon Farming Advanced varieties उन्नत किस्में
Improved Shipper (बेहतर शिपर) –
यह किस्म पीएयू, लुधियाना ने विकसित किया है।
उसके फल बड़े होते हैं, त्वचा का रंग गहरा हरा होता है।
मध्यम रूप से टीएसएस 8-9% के साथ मीठे और उसकी औसत उपज 70-80 क्विंटल प्रति एकड़ है।
Special No.1 (विशेष संख्या 1) –
यह किस्म पीएयू लुधियाना ने विकसित कि है।
उसके फल गोल और आकार में छोटे होते हैं। उसमे मांस लाल रंग का होता है।
जल्दी पकने वाली किस्में एव TSS इम्प्रूव्ड शिपर से कम है।
Sugar Baby (सुगर बेबी) यह 72 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती एव उसकी गहरे लाल रंग की त्वचा होती है।
Asahi Yamato (असाही यामातो) –
आईएआरआई, नई दिल्ली ने विकसित की यह किस्म 6-8 किलो वजन के मध्यम आकार के फल होते है।
यह किस्म 95 दिनों में कटाई के लिए तैयार होती है।
दूसरी राज्य किस्में
- वरुण
- युवराज
- आयशा
- मधुबाला
- चेतन
- एनएस 295
- एनएस 34
- केएसपी 1081
- एनएस 450
- अर्जुन
- सूमो
- ललिता
- राजा
विदेशी किस्में
चीन – तरबूज संकर पीली गुड़िया
तरबूज संकर लाल गुड़िया
यूएसए – रीजेंसी
- रॉयल फ्लश
- रॉयल मेजेस्टी
- पैराडाइज
- रॉयल स्वीट
- फेरारी
- सनराइज

Watermelon Farming में रोपण
भूमि की तैयारी करने के बाद उत्तर भारत में बुवाई का समय फरवरी-मार्च माह होता है। उत्तर पूर्व और पश्चिम भारत में बुवाई नवंबर से जनवरी के दौरान होती है। तरबूज को सीधे बोया जा सकता है। या नर्सरी में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। और फिर मुख्य खेत में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। पौधे की दूरी अलग-अलग हो सकती है। गड्ढे विधि में दो पौधों के बीच पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2-3.5 मीटर और 60 सेमी का उपयोग करें। बीज को लगभग 2-3 सेंटीमीटर गहरा लगाएं।
बुवाई के लिए बुवाई के तरीकों जैसे फरो विधि, पिट विधि और पहाड़ी विधि का उपयोग जलवायु और मौसम के आधार पर किया जाता है। कुंड के दोनों ओर बुवाई की जाती है। एक बार में 3-4 बीज बोएं। पौधे से पौधे की दूरी 60-90 सेमी रखें। 4 बीजों को गड्ढे में बोयें। गड्ढे को अच्छी तरह सड़ी हुई गाय के गोबर और मिट्टी से भरें। अंकुरण के बाद सिर्फ एक अंकुर ही रखना चाहिए।
Watermelon Farming में सिंचाई
सिंचाई की बात करे तो watermelon खेती को ज्यादा पानी की जरुरत होती है। गर्मी के मौसम में हर हफ्ते सिंचाई करें। परिपक्वता के समय जरूरत पड़ने पर सिंचाई करें। तरबूज के खेत में सिंचाई करते समय लताओं या वानस्पतिक भागों को गीला नहीं करना चाहिए। ज्यादातर फूल आने और फल लगने के समय में बहुत सावधानी रखनी चाहिए। बेहतर मिठास और स्वाद के लिए कटाई से 3-6 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।

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Watermelon Farming Manures and Fertilizers
खेत की गोबर की खाद या अच्छी तरह सड़ी गाय का गोबर 8-10 टन प्रति एकड़ डालना चाहिए। नाइट्रोजन 25 किलो, फास्फोरस 16 किलो और पोटाश 15 किलो यूरिया 55 किलो, सिंगल सुपर फास्फेट 100 किलो और म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 किलो प्रति एकड़ डालना चाहिए। फास्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई से पहले डालें। नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा को बेलों के आधार के पास डालें, इसे छूने से बचें और प्रारंभिक विकास अवधि के दौरान मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएँ। उसके अलावा भूमि परीक्षण के मुताबिक डाल सकते है।
Watermelon Farming Weed control
बुवाई के समय और पौधे के विकास के शुरुआती समय के दौरान भूमि को खरपतवार मुक्त रखना बहुत जरुरी है। उचित नियंत्रण उपायों के अभाव यानि खरपतवार से उपज में 30% का नुकसान हो सकता है। बुवाई के समय के 15-20 दिन बाद इंटरकल्चरल ऑपरेशन करना चाहिए। खरपतवारों की गंभीरता और तीव्रता के आधार पर दो से तीन बार निराई-गुड़ाई करनी जरुरी होती है।

पौधे की देखभाल और रोग नियंत्रण
प्लांट का संरक्षण –
एफिड और थ्रिप्स –
ये पत्तियों से रस चूसते है उससे पत्तियां पीली पड़ती बाद में गिर जाती हैं। थ्रिप्स से पत्तियां मुड़ जाती हैं। पत्तियां कप के आकार की हो जाती हैं या ऊपर की ओर मुड़ी हुई हो जाती हैं। खेत में उसकी असर दिखे तो नियंत्रण के लिए थायमेथोक्सम 5 ग्राम को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि चूसने वाले कीट और चूर्ण/डाउनी फफूंदी का प्रकोप दिखे तो थायमेथोक्सम की स्प्रे करना चाहिए।
फल मक्खी –
यह एक गंभीर कीट मादाएं युवा फलों के एपिडर्मिस के नीचे अंडे देती हैं। बाद में कीड़े गूदे पर भोजन करते और फल सड़ने लगते हैं। उससे संक्रमित फलों को खेत से दूर हटाकर नष्ट कर नीम के बीज की गिरी के अर्क 50 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
एन्थ्रेक्नोज –
एन्थ्रेक्नोज के प्रभाव से पत्ते झुलसे हुए दिखाई देते हैं। रोकथाम के लिए बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। खेत में हमला दिखे तो मैनकोजेब 400 ग्राम का स्प्रे करें।
ख़स्ता फफूंदी –
संक्रमित पौधे पर धब्बेदार, सफेद चूर्ण का विकास दिखाई देता है। उसका हमला दिखे तो पानी में घुलनशील सल्फर 20 ग्राम/10 लीटर पानी में 2-3 बार 10 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करें।
अचानक मुरझाना –
यह फसल यानि पौधे कमजोर कर देता हैं। खेत से संक्रमित अंगों को नष्ट कर दें। ट्राइकोडर्मा विराइड 1 किलो प्रति एकड़ में 20 किलो गोबर की खाद या अच्छी तरह सड़ी हुई गाय का गोबर मिलाएं।
कटाई और छंटाई
तरबूज की खेती में तुड़ाई सबसे महत्वपूर्ण है। क्योकि तरबूज के फल का आकार और रंग को देखकर पकने की स्थिति का पता लगाना बहुत मुश्किल है । अच्छे से पके फलों की पहचान कठिन होती है । जमीन से सटे हुए फल के भाग का रंग परिवर्तन देखकर उसकी परख की जाती है । पके फलों को थपथपाने से धब-धब की आवाज मिकलती है तो फल पका होता है। पके फल को दबाने पर कुरमुरा ओर फटने जैसा अनुभव हो तो फल पका माना जाता है।
फलों को तोड़कर ठण्डे स्थान पर एकत्र करना जरुरी है। किसानो को दूर के बाजारों में फल को भेजने के लिए कई समय ट्रक में रखते हैं। उसके लिए धान की पुआल रखनी चाहिए। उससे फल आपस में रगड़कर नष्ट नहीं होते हैं। एव तरबूजों की ताजगी बनी रहती है। गर्मीयो के मौसम में सामान्य तापमान पर फल को 10 दिनों तक रख सकते है। तरबूज की खेती की उपज अंदाजित 400-500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है।

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Watermelon Farming Video
Interesting Fact
- तरबूज की फसल 90 से 100 दिन में पक कर तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।
- नदियों की रेतीली और दोमट मिट्टी तरबूज की फसल के लिए बेहतरीन होती है।
- भारत में बोई जाने वाली नस्ल अर्का, ज्योति पूसा रसाल, कटागोलास देसी नस्ल हैं।
- तरबूज पकने पर काफी मीठे एवं स्वादिष्ट होते हैं।
- तरबूज की खेती के लिए सबसे अच्छा मौसम गर्मी का होता है।
- भारत के कुछ ऐसे प्रदेश है जहा पर हर साल तरबूज की खेती होती है।
- तरबूज खाने से दिमाग शांत रहता है और गुस्सा कम आता है।
FAQ
Q .तरबूज की खेती कितने दिनों की होती है?
तरबूज बुवाई से 90-100 दिनों में तैयार हो जाते हैं।
Q .खरबूजे की खेती कब और कैसे की जाती है?
खरबूजे के लिए गर्मी का मौसम एव तापमान 22 से 26 डीग्री के बीच अच्छा रहता है।
Q .तरबूज की खेती कैसे होती है?
तरबूज की खेती फरवरी के प्रथम सप्ताह से फरवरी के अंत तक बुवाई कर देते हैं।
Q .तरबूज के बीज को कैसे उगाये?
तरबूज को सीधे बोया जा सकता है। या नर्सरी में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
Q .तरबूज के बीज का क्या भाव है?
मैगज़-तरबूज बीज 500g का 200.00 होता है।
Q .तरबूज खाने का सही समय क्या है?
तरबूज़ के सेवन का सही समय दोपहर का होता है।
Q .खरबूजा कौन से महीने में लगाया जाता है?
उत्तरी भारत में इसकी बिजाई फरवरी के मध्य में की जाती है।
Conclusion
आपको मेरा Watermelon Farming | Watermelon Cultivation बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा।
लेख के जरिये हमने Watermelon plant, Watermelon seeds और Watermelon in hindi से सम्बंधित जानकारी दी है।
अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।
Note
आपके पास Watermelon tree , Watermelon benefits या Watermelon nutrition की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।
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