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Ginger Farming Information | Ginger Cultivation | अदरक की खेती कैसे होती है

नमस्कार दोस्तों Ginger Farming Information | Ginger Cultivation | Ginger Farming in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम अदरक की उन्नत खेती कैसे करें | अदरक कौन से महीने में लगाया जाता है | अदरक की खेती कैसे होती है | अदरक की उन्नत खेती करने का तरीका और फसल प्रबंधन से सम्बंधित जानकारी बताने वाले है। अदरक गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होता है। और उसकी खेती समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई तक होती है। अदरक को वर्षा आधारित और सिंचित दोनों स्थिति में उगा सकते है।

अदरक की फसल अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जैसे रेतीली दोमट, चिकनी दोमट, लाल दोमट या लैटेरिटिक दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह पनपता है। अदरक भारत देश की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है। अदरक का प्रयोग मसाले, औषधिया और सौन्र्दय सामग्री के रूप में वैदिक काल से चला आ रहा हैं। विश्व के कुल उत्पादन का 60% उत्पादन भारत देश में होता हैं । भारत में उस फसल की सबसे ज्यादा खेती केरल राज्य में की जाती हैं। केरल राज्य में भारत के कुल उत्पादन का 70% भाग उत्पादित किया जाता हैं।

Ginger Farming Information

अदरक का वानस्पतिक नाम Zingiber officinale L है। और Zingiberaceae कुल से संबंधित है। अदरक एक देशी पौधा विश्व की एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है। यह जठरांत्र संबंधी मार्ग के एक कार्मिनेटिव और उत्तेजक के रूप में मूल्यवान है। सोंठ का उपयोग तेल, ओलियोरेसिन, एसेंस, शीतल पेय, गैर-मादक पेय और विटामिनयुक्त उत्सर्जक शीतल पेय के निर्माण के लिए किया जाता है। भारत में दूसरी भाषाओं में अदरक को अलग अलग नामो से जानते है। उसको गुजराती में आदू, मराठी में बंगाली में अले, तमिल में इल्लाम, तेलगू में आल्लायु, कन्नड में अल्ला और हिन्दी एव पंजाबी में अदरक कहते है।

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अदरक खाने के फायदे एवम उपयोग

  • कब्ज, पेट दर्द, पेट की ऐंठन, मरोड़ व गैस की समस्याओं से राहत दिलाता है।
  • स्तन कैंसर, गर्भाशय के कैंसर और लिवर कैंसर से बचाव में सकारात्मक प्रभाव करता है। 
  • मतली व उल्टी की समस्या में जिंजर के फायदे हासिल कर सकते हैं।
  • अदरक मासिक धर्म के दर्द को नियंत्रित कर सकता है। 
  • अदरक का रस माइग्रेन के तीव्र दर्द को नियंत्रित कर आराम देता है। 
  • हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने अदरक का सेवन किया जा सकता है।
  • कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मदद कर सकता है। 
  • अल्जाइमर के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
  • जोड़ों में दर्द से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।
  • ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित कर इन्सुलिन की सक्रियता को बढ़ाने का काम करता है। 
  • वजन को नियंत्रित कर सकता है।
  • अदरक का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखता है।
  • बेदाग और कील मुंहासों जैसी त्वचा की समस्या में फायदेमंद होता है।
  • सब्जी में तड़का लगाने के लिए उपयोग कर सकते है।
  • अदरक का अचार बनाकर आहार में शामिल कर सकते है।
  • अदरक को लंबा और पतला काट कर नमक-मिर्च लगाकर खा सकते हैं।
  • यह स्वादिष्ट भी लगेगा और इससे अदरक के फायदे भी हासिल होंगे।
  • अदरक की चाय बनाकर पी सकते हैं।
  • सूंठ यानि अदरक के पाउडर का सेवन कर सकते है।

अदरक के पोषक तत्व

विटामिन ए

विटामिन डी

कैल्शियम

विटामिन ई

मैग्निशियम

आयरन

जिंक

Ginger Cultivation

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Ginger Farming जलवायु

अदरक गर्म और आर्द्र जलवायु में ज्यादा बढ़ता है। उसकी खेती मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय विस्तारो में समुद्र तल से 1500 से ऊपर की ऊंचाई तक की जाती है। और उसको बरसाती और सिंचित दोनों स्थितियों में उगा सकते है। उसकी सफल खेती के लिए अदरक को बुवाई के समय मध्यम वर्षा की जरुरत होती है। जब तक कि प्रकंद अंकुरित नहीं हो जाते और बढ़ती अवधि के समय काफी भारी और अच्छी तरह से वितरित वर्षा और कटाई के एक महीने पहले शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।

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Soil Requirement For Ginger Farming भूमि और तैयारी

किसानो को अदरक अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जैसे रेतीली या चिकनी दोमट, लाल दोमट या लैटेरिटिक दोमट मिट्टी में बोना चाहिए। क्योकि उसमे सबसे अच्छा पनपता है। धरण से भरपूर भुरभुरी दोमट सबसे आदर्श होती है। एक संपूर्ण फसल होने के कारण साल दर साल एक ही जगह पर अदरक उगाना वांछनीय नहीं हो सकता है। यह आंशिक छाया में अच्छी तरह से विकसित होता है। मगर उसे खुले क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।

मार्च से अप्रैल में खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी पलटने वाले हल से खेत को खुला धूप लग छोड़ते हैं। मई महीने में हैरो या रोटावेटर से जुताई कर  मिट्टी को भुरभुरी बना ले और गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट खेत में डालकर कल्टीवेटर या देशी हल से 2 से 3 जुताई करके पाटा चला कर समतल करते है। सिचाई की सुविधा में तैयार खेत को छोटी क्यारियों में बाँट लेना है अंतिम जुताई में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।

अदरक खेत की फोटो

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Ginger Farming Advanced varieties उन्नत किस्में

बेला अदा – सुप्रभामोरन अदा
जातिया अदा -हिमाचल० केकी
स्थानीय नागा सिंह  थिंगिपुरी
नागा सिंह विची
नाडिया सिह बोई सिह बोई
सिंह भुकीर काशी काशी
तुरा  थिंग पुदम थिंग पुदम
थिगंगिराव भैसी – आई आई एस आर वरदा

Ginger Farming में रोपण

अदरक को राइजोम के कुछ हिस्सों द्वारा प्रचारित किया जाता है। जिन्हें बीज राइजोम के रूप में जाना जाता है। सावधानी से संरक्षित बीज प्रकंदों को 2.5 – 5.0 सेमी लंबाई के छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। जिनका वजन 20 – 25 ग्राम होता है, जिनमें से प्रत्येक में एक या दो अच्छी कलियाँ होती हैं। बीज दर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र और अपनाई गई खेती की विधि के साथ भिन्न होती है। केरल में, बीज दर 1500 से 1800 किग्रा / हेक्टेयर तक भिन्न होती है। अधिक ऊंचाई पर बीज दर 2000 से 2500 किग्रा / हेक्टेयर तक भिन्न हो सकती है।

बीज rhizomes को 30 मिनट के लिए mancozeb 0.3% (3 g/L पानी) के साथ उपचारित किया जाता है। छाया 3 – 4 घंटे के लिए सुखाया जाता है। और पंक्तियों के साथ 20 – 25 सेमी और पंक्तियों के बीच 20 – 25 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है। बीज राइज़ोम बिट्स को एक हाथ कुदाल से तैयार उथले गड्ढों में रखा जाता है। और अच्छी तरह से विघटित खेत की खाद और मिट्टी की एक पतली परत के साथ कवर किया जाता है और समतल किया जाता है।

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Ginger Seeds Planting Right time and Method

अदरक के बीजो की रोपाई को कंद के रूप करते है। उसके कंदो की रोपाई से पहले खेत में क्यारियॉ को तैयार करते है। उसके प्रत्येक के बीच में एक से सवा फ़ीट की दूरी रखे बीजो को 15 सेंटीमीटर की दूरी और 5 CM की गहराई में लगाते है। अदरक के पौधों को अधिक धूप की जरूर है। उसके लिए खेती को छायादार जगह में नहीं करना चाहिए। भारत के उत्तरी भाग में अदरक के बीजो को अप्रैल माह में बुवाई करते है। उसके अलावा मई और जून के महीने में भी लगा सकते है। 

एक हेक्टेयर के खेत में 1,40,000 कंदो की आवश्यकता होती है। वह लगभग 25 क्विंटल के आस-पास होते है। उसके बीजो की कीमत ज्यादा होती है। उसके लिए आपको बीजो को खरीदते समय अच्छी तरह से देख ले कि  कंद ख़राब तो नहीं है। बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें प्लान्टो माइसिन या स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का घोल बना कर उससे उपचारित करना जरुरी है। उससे पौधों में जीवाणु जनित रोग नहीं होते है। 

Ginger Farming में सिंचाई

अदरक की खेती  को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। मगर प्रारंभिक सिंचाई को बीज रोपाई के महीने के अंदर कर देना है। उसके बाद 15 से 20 दिन के अंतराल में पौधों को पानी देना चाहिए। उसके अलावा बारिश के मौसम में सिर्फ जरूरत पड़ने पर 5-10 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। अदरक को फसल तैयार करने के लिए 1300-1500 मिमी पानी की आवश्यकता होती है। बेहतर जल उपयोग दक्षता और बढ़ी हुई उपज के लिए छिड़काव और ड्रिप सिस्टम भी लगा सकते है।

Ginger Cultivation Images

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Ginger Farming Manures and Fertilizers

उसके रोपण के समय 25-30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट 2 टन नीम की खली के साथ 50 किग्रा पी2ओ5 एवं 25 किग्रा के2ओ के साथ डालना चाहिए । उसको रोपण से पहले क्यारियों पर प्रसारित कर सकते है। रोपण के समय गड्ढों में लगा सकते है। इसके अलावा 75 किग्रा नाइट्रोजन/हेक्टेयर भी डाली जाती है। उसे रोपण के 40 और 90 दिनों के बाद दो भागों में विभाजित किया जाना है। उर्वरकों और क्यारियों के साथ पौधों को मिट्टी में मिला देना चाहिए।

Ginger Farming Weed control

अदरक के पौधे भूमि की सतह पर रहकर ही पोषक तत्वों को ग्रहण करते है | इसलिए इसके पौधों को खरपतवार पर नियंत्रण की अधिक आवश्यकता होती है। भारी बारिश के कारण मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए हरी पत्तियों या जैविक कचरे के साथ क्यारी को मल्चिंग करना जरुरी है। वह मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जोड़ता है एव खरपतवार के उद्भव को रोकता है। फसल के मौसम के उत्तरार्ध में नमी का संरक्षण करता है। पहली मल्चिंग रोपण के समय 10-12 टन/हेक्टेयर की दर से हरी पत्तियों से करते है।

खरपतवार नियंत्रण के लिए अदरक में गीली घास के रूप में डंठल या धान के भूसे को हटाने के बाद सूखे नारियल के पत्तों को लगाने चाहिए। हरी पत्ती मल्चिंग को रोपण के 45 और 90 दिनों के बाद निराई-गुड़ाई के तुरंत बाद उर्वरकों के और मिट्टी को ऊपर करते हुए 7.5 टन/हेक्टेयर की दर से दोहराया जाना चाहिए। अदरक के खेत की पहली गुड़ाई को बीजो की रोपाई के एक महीने बाद करना चाहिए।

अदरक की कटाई और उपज

यह अदरक की फसल को तैयार होने के लिए में 8 महीने का समय लगता है। पौधे की पत्तियाँ पीले रंग की होने लगे तब अदरक की खुदाई कर लेनी चाहिए। उसके बाद कंदो को पानी में डालकर अच्छे से धोकर छिलको को निकाल देना होता है। उसके बाद कंदो को अच्छी तरह से धूप में सूखा लिया जाता है। धूप में ठीक से सुखाने के पश्यात भंडारित कर बाजार में बेचने के लिए भेजते है। एक हेक्टेयर के खेत में 15 से 20 टन अदरक की फसल की उपज होती है। अदरक का बाज़ारी भाव 50 से 60 रूपए प्रति किलो होता है। किसान अदरक की फसल से दो लाख की कमाई आसानी से कर सकते है।

अदरक की फोटो गैलरी

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Ginger cultivation Guide Video

Interesting Fact

अदरक की खेती मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय विस्तारो में की जाती है। 

अदरक का उपयोग मसाले के तौर पर किया जाता है। 

किसानों की आय बढ़ाने में अदरक की खेती महत्वपूर्ण साबित होती हैं। 

अदरक उच्च गुणवत्ता युक्त पोषक तत्वों से भरपूर होता है। 

अदरक  की खेती सबसे ज्यादा भारत में होती है। 

फसल की अच्छी पैदावार के गर्म और आर्द्रता वाले क्षेत्र अच्छे होते हैं।

अदरक को सुखाकर सोंठ के रूप में भी उपयोग में लेते है। 

FAQ

Q .अदरक कौन से महीने में लगाई जाती है?

अदरक के बीजो की रोपाई के लिए अप्रैल, मई और जून महीने में लगा सकते है। 

Q .अदरक 1 एकड़ में कितना निकलता है?

एकड़ भूमि से 50 क्विंटल अदरक की पैदावार होती है।

Q .अदरक का बीज कहाँ मिलेगा?

अपने निकटवर्ती उद्यान सचल दल केंद्र से बीज प्राप्त कर सकते हैं।

Q .अदरक कैसे लगाए?

पूर्ण विकसित आँख या विकसित कलियों वाली जड़ से अदरक उगाना सबसे अच्छा तरीका है। 

Q .प्रति एकड़ अदरक की खेती लागत?

एक एकड़ भूमि में 5 क्विंटल अदरक बीज लगता है।

Q .अदरक की खेती कितने दिन की होती है?

अदरक की फसल लगभग 8 से 9 महीने में तैयार होती है।

Q .अदरक के बीज कैसे होते हैं?

अदरक की नर्सरी तैयार करने हेतु उपस्थित बीजो या कन्दों को उपयोग लेते है। 

Conclusion

आपको मेरा Ginger Farming | Ginger Cultivation बहुत अच्छी तरह से समज आया होगा। 

लेख के जरिये हमने Ginger Farming in india, Ginger Farming techniques और Ginger Farming business plan से सम्बंधित जानकारी दी है।

अगर आपको अन्य किसी खेत उत्पादन के बारे में जानना चाहते है। तो कमेंट करके जरूर बता सकते है।

Note

आपके पास Ginger cultivation in india या Ginger cultivation time की कोई जानकारी हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो दिए गए सवालों के जवाब आपको पता है। तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इसे अपडेट करते रहेंगे धन्यवाद।

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